है पुरुष वही सच्चा जिसमे ,
पुरुषार्थ भरा हो तन – मन मे ।
जीवन जीता हो परहित में ,
न बैर रखता अन्तर्मन में ।
प्रतिपालक हैं भगवान सभी के ,
पर ज्ञान नेत्र जो दिया सबको ।
जिस -जिसने अपनाया इसको ,
सच्चा वही पाया जीवन को ।
पुरुषार्थ बिना क्या जीवन है ?
इसके बिना स्वीकार्य नही ।
तप से संसार चला करता ,
निष्प्रभता से कोई काम नही ।
पथ आलोकित होगा उसका ,
संकल्प सहित जो कूदेगा ।
अरि -रण में विजयी वही होगा ,
जो मर्म तप का समझेगा ।
जीवन कलुषता का नाम नहीं ,
नही जड़ता का स्थान कहीं ।
वही पाएगा मानव मंजिल को ,
जो कर्त्तव्यनिष्ठ बन उतरेगा ।
रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर