सतत हो अभिनंदन राम का। सहज हो जप सुंदर नाम का।। सुलभ हो पल जीवन धाम का। सहज हो फल पुष्पित काम का।।०१।। सरल हैं रघुनंदन जान लें। सहज में…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
जीवन सुंदर सरस – महामंगला छंद गीत, राम किशोर पाठक
जीवन सुंदर सरस, लगता हरपल खास। कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।। हारा मन कब सफल, मन के जीते जीत। जो लेता है समझ, बदले जग की रीत।। जीत…
शरद पूर्णिमा, रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
विधाता छंदधारित मुक्तक शरद पूर्णिमा कहीं संगम कहीं तीरथ, धरा पर पुण्य बहते हैं, मगर जो आज देखेंगे, कहेंगे व्यर्थ कहते हैं। जहाॅं शंकर छुपा कर तन, किए श्रृंगार गोपी…
मनहर कृष्ण- महामंगला छंद, राम किशोर पाठक
अंजन धारे सतत, कृष्ण कन्हाई नैन। देख लिया जो अगर, कैसे पाए चैन।। मूरत मनहर सुघर, मिले न कोई और। बिना गिराए पलक, देखूँ करके गौर।। श्याम सलोने सुघर, रखें…
शरद पूर्णिमा – महामंगला छंद, राम किशोर पाठक
देखो आया शुभद, आज कई संयोग। रजनी लगती नवल, चकवा का हठयोग।। पूनम सुंदर धवल, लेकर आयी रूप। आज पूर्णिमा शरद, अंबर लगे अनूप।। सोम देव से किरण, छिटक रही…
बहती गंगा-सी पुण्यधार रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
पद्धरी छंद सम-मात्रिक छंद, 16 मात्राएँ आरंभ द्विकल से, पदांत Sl अनिवार्य। मां सिद्धिदायिनी दिव्य भाल। दिखते हैं सागर से विशाल।। कर अभ्यागत की पूर्ण आस। भर दें संस्कारित…
रावणी गुण- राम किशोर पाठक
हत्या चोरी आचार यौन । झूठी वाणी रहना न मौन।। भाषा विभक्त-कारी कठोर। धारे लालच लोभ घनघोर।। कारण प्रभाव देता नकार। व्यर्थ गपशपी सदा व्यवहार।। ईर्ष्या क्रोध घृणा से प्रवीण।…
अपने सपने – राम किशोर पाठक
अपने सपने- मणिमाल वार्णिक छंद कहता यहाँ हर शख्स है, करता यहाँ पर कौन।जब भी उठी यह बात तो, रहते यहाँ सब मौन।।मिलते हमें अपने सभी, मिलता नहीं कुछ खास।पलकें…
द्विज के गुण – राम किशोर पाठक
द्विज एक रूप दिव्य जगत में। ज्ञान धर्म कर्म श्रेष्ठ सतत में।। तेज सूर्य का सहन है करता। विष्णु वक्ष पर पग रख सकता।। रक्षण करता है वेदों का। भक्षण…
नया समाज बनाना होगा – गीत – राम किशोर पाठक
नया समाज बनाना होगा – गीत आओ मिलकर हम-सब सोचे, समाधान कुछ पाना होगा। जन-जन के उत्कर्ष हेतु अब, नया समाज बनाना होगा।। सदी इक्कीसवीं आयी है, दुनिया जिसकी गाथा…