अटल बिहारी वाजपेयी-अश्मजा प्रियदर्शिनी

Ashmaja

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अटल बिहारी वाजपेयी

अखण्ड भारत का अलख जगाए सुस्मित हर्षित होते रहे।
काँटों भरी सत्ता के गठबन्धन में सुवासित बढते रहे।
‘सत्ता के निर्लोभी’ शब्दों की राजनीति में भी निखरते रहे।
कर्मो के साज ऐसे बजे कि बसंती सरगम से बजते रहे।
‘मेरी इक्यावन कविता’ को अपने नज्मों से सजाते रहे।
स्कूल चले हम की कसौटी पर सर्वशिक्षा अभियान चलते रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी अटल अविराम अविचलित निर्बाध
अनंत भव-बाधा में भी शाँतिपूंज सूरज से चमकते रहे।
निरवता से आँधियों में उजाले से दीपक बन जलते रहे।
एकाकी था जीवन मगर पावस से रिमझिम बरसते रहे।
भारत के अनमोल रत्न संघर्षों में भी विजयी बने रहे।
‘भारत रत्न’ विजेता बाजपेयी सितारों संग चमकते रहे।
तिमिर के सफर में रौशनाई सी राह में जलाते रहे।
निशा में प्रभातिका के पूँज से टिमटिम चमकते रहे।
बंजर मेघपुष्प विहीन सत्ता में हरितिमा से खिलते रहे।
संकल्प-ए-विश्वास से पत्थरों में भी अंकुर फूटने लगे।
बाजपेयी सत्ता के उतंग शिखर पर सिरमौर भी बने रहे।
प्राचि में अरुणिमा बन कोमल कलि से खिलते रहे।
‘विजय पताका’ से प्रेरित राष्ट्धर्म का पाञ्चजन्य फूकते रहे।
दैनिक स्वदेश, वीर अर्जुन आदि का संपादन भी करते रहे।
देशभक्ति से ओतप्रोत जीवन में नैराश्य निनाद को चीड़ते रहे।
जिंदगी की ढलती साँझ में भूतल पर धूमकेतू से चमकते रहे।
अन्तर्द्वन्द् से निकलकर नव भारत निर्माण के बिगुल बजाते रहे।
कदम-कदम पे लक्ष्य साध भारत विकास का आह्वान करते रहे।
श्रद्धांजलि अर्पित बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारत शिरोमणि को
युगों-युगों तक स्वर्णाक्षर से इतिहास के पन्नों में सजते रहे।

रचनाकार: अश्मजा प्रियदर्शिनी
पटना, बिहार

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