दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

श्रमिक दिवस पर हम सभी, करें श्रमिक-सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। श्रम को जीवन धारिए, करिए मत आराम। यही श्रमिक की साधना, यही फलित आयाम।। सत्कर्मों…

विधा: कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

आओ मिलकर हम सभी, करें श्रमिक सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। नवल शक्ति पहचान, दिव्य आँखों से करिए। श्रम है बड़ा महान, इसे निज मन में…

बचपन- Ayushi

मुझे समझ नहीं आती सबकी बातें बस अपनी मर्ज़ी का करता हूं लाख मुझे कोई क्यूं ना समझाए मगर ज़िद पर अपनी अडिग रहता हूं सब कहते ये मत कर…

बेचारा मजदूर- नीतू रानी

बेचारा मजदूर दिनभर करता मजदूरी परिवार से रहता दूर, बेचारा मजदूर। कभी खेत में काम है करता कभी सड़कों पर धूप को सहता, जाड़ा गर्मी और बरसात को सहता है…

बचपन की शरारतें – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जब कोई फल भाता, दूर से नज़र आता, छिप कर बागानों से, टिकोले को तोड़ता। गाँव की हीं महिलाएँ, कुएँ पर पानी भरें, पीछे से कंकड़ मार, मटके को फोड़ता।…

रिश्ते दिलों के- मनु कुमारी

रिश्ते दिलों के निभाये हैं हमने, गमों में भी अक्सर मुस्कुराये हैं हमने। है बहुत हीं प्यारा ये नाजुक सा बंधन, फूलों की भांति संवारा है हमने। कभी डांट फटकार…

कैसी ये पहेलियाँ- एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी (कैसी ये पहेलियाँ) पतझड़ में पत्तियां, दूर चली उड़कर, शांत मौन नभचर,सूनी-सूनी डालियाँ। कलियाँ भी मुर्झाकर, बिखरी है सूख कर, मंडराता मधुकर,अब कहाँ क्यारियाँ। चमन उजड़ गया, उड़…