पुकारिए उसे सदा रामकिशोर पाठक

पुकारिए उसे सदा – पंचचामर/नराच/नागराज छंद गीत १२१-२१२-१२१-२१२-१२१-२ लखे कभी विकार तो, सवाल जो तजा करे। पुकारिए उसे सदा, विचार शुद्ध जो भरे।। सखा किसे कहें यहाँ, सवाल आज है…

होकर मगन -रामपाल प्रसाद सिंह

होकर मगन गगन के नीचे, दौड़ रहे ये बच्चे हैं। जिन्हें देखकर वयोवृद्ध सब,अंतर मन से नच्चे हैं।। हरियाली के बीच निरंतर,कोयल की मीठी बोली, विहग सरीखे उड़ते जो हैं,डाल…

ॐ कृष्णय नमः एस के पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधाता छंद। (विलोचन में दिखी लाली) चुनावों ने विचारों का, दिये थे खोल जब ताले। ललक ने हस्त फैलाया, अधर पर थे कई प्याले। प्रचारों से जगी…

वाह रे इंसान -जैनेन्द्र प्रसाद रवि

वाह रे इंसान पितरों को पानी देते हैं, जिंदा को सम्मान नहीं, गली-गली इंसान भटकता, क्या उसमें भगवान नहीं? मूर्ति की पूजा होती है, फूल चढ़ाए जाते हैं, कुछ जाति…