कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है-विवेक कुमार

कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है ऊपर वाले ने कुछ सोच कर, हमें बनाया होगा, नाक नक्श संग संस्कारों का, साज सजाया होगा, मिट्टी के पुतलो में रंगों…

मेरी अभिलाषा-प्रीति

मेरी अभिलाषा  मैं छोटा सा नन्हा बच्चा, मेरी यह अभिलाषा है। जल्दी से स्कूल शुरू हो, बस छोटी सी आशा है। याद आते हैं दिन वो सुहाने, जाते जब हम…

उम्मीदें-प्रियंका दुबे

उम्मीदें स्वप्निल रजनी के देश में देखे जो ख्वाब, उसे पूरा कर लेंगे आज, अगर चलते रहे यूं ही कर्मठता से कर्म के पतवार, जरूर होगी ख्वाबों की निर्झरनी पार,…

टूटती कविता-गिरिधर कुमार

टूटती सी कविता रंग चटखने लगे हैं इसके परेशान है कविता कोलाहल से किसी कोविड से किसी यास से किसी ब्लैक रेड फंगस के संताप से। बिखरती चेतना से सहमती…

कोरोना कविता और कवि-गिरिधर कुमार

कोरोना कविता और कवि लिख रहा हूं कविता, झांकता है कोरोना ठीक सामने की खिड़की से… अट्टहास करता है वो परिहास के स्वर हैं उसके कवि! भोले कवि तुम्हारी कविता…