जिन्दगी के दौर में जब खुद को अकेले पाना तुम खुद ही, ख़ुद का सूरज समझ लेना जो स्याह रात को, समाप्त करता है। जब मंजिल मुश्किल और दूर लगे…
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गाँधी हुए उदास रे- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
हे मन ! गाँधी को ढूँढू रे, नगरी-नगरी गाँव रे। नहीं मिले वो मेरे बापू, देख लिया सब ठाँव रे। नयन थक गए, वसन भी फट गए, देख न…
मेरी हर यात्रा- अवनीश कुमार
सुन री सखी-सहेली! वे राम बने, मैं मर्यादा की सीमा बनूँ, वे कृष्ण बने, मैं राधा की काया बनूँ, वे विष्णु बने, मैं उनकी हरिप्रिया बनूँ, वे शिव बने,…
बेटियाँ- गिरीन्द्र मोहन झा
धन्य वह गेह, जहाँ खिलखिलाती हैं बेटियाँ, धन्य वह गेह, जहाँ चहचहाती हैं बेटियाँ, धर्म-ग्रंथ कहते हैं, गृह-लक्ष्मी होती बहु-बेटियाँ, सारे देवों का वास वहाँ, जहाँ सम्मानित हैं बेटियाँ, बेटी…
कब तक हार से डरते रहोगे – गुड़िया कुमारी
कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे, कब तक हार से डरते रहोगे। कदम आगे बढ़ाना होगा, अगर लक्ष्य को पाना होगा। हार-जीत का खेल भी होगा, साहस तुम्हें दिखलाना…
सुन री सखी- अवनीश कुमार
सुन री सखी! यदि वे मुझसे कह न पाते, लिख कर ही अपनी व्यथा छोड़ तो जाते। विश्वास के बंधन बाँध तो जाते, सखी काश ! वे मुझसे अपनी व्यथा…
मैं हूँ हिंदी- विवेक कुमार
मैं हूँ हिंदी, कहने के लिए, आपकी बिंदी, सर का ताज हूँ, राज-काज का साधन, भाषा की अभिव्यक्ति हूँ, पतंगों की डोर संग, भावनाओं की उड़ान हूँ, देश की आन-बान-शान,…
प्यारी भाषा हिंदी – अमरनाथ त्रिवेदी
हिंदी हैं हम वतन हैं , यह हिंदोस्ता हमारा। यह भाषा बहुत सरल है, यह सौभाग्य है हमारा।। हिंदी जितनी सहज है, उतनी न कोई भाषा। विश्व रंगमंच पर ये…
हिंदी दिवस – दीपा वर्मा
हिंदी दिवस आया आज है, सब भाषा पर इसका राज है। मातृभाषा कहलाती है, देश का मान बढाती है। अपनी बोली, अपनी भाषा, लगती बड़ी सुहानी है। विदेशी भाषा भी…
हिंदी हमारी धड़कन है – एम.एस. हुसैन ‘कैमूरी’
हिन्दी है पहचान हमारी यही हमारी धड़कन है। हिन्दी में ही मैं पला – बढ़ा इसी को सबकुछ अर्पण है।। कार्यालय या सचिवालय हो, हिन्दी में ही , उसके…