छठ पर्व की महिमा अति न्यारी, चार दिनों तक लगती है प्यारी। जीवन सकल धन्य कर देती। यह सर्व दुर्गुणों को हर लेती। चारों ओर उत्सव और बधाई, लगता जीवन…
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शान निराली छठ व्रत की – अमरनाथ त्रिवेदी
छठ व्रत की शान निराली, महापर्व की शोभा न्यारी। हम बच्चों को खुशी देनेवाली, अनुपम दृश्य लगती बड़ी प्यारी। व्रती वंश की कामना रखती, इस व्रत में यह ध्यान है…
जरा रौशनी फैला दें- अमरनाथ त्रिवेदी
जीवन मिला हमें जब , जरा रौशनी फैला दें । दूसरों के दर्द को भी , अपने दर्द में मिला लें।। दीपों की रौशनी में, हम अपना दुःख भुला दें।…
एक दीप इनके नाम – संजय कुमार
आइए, जलाते हैं एक दीप अपने माता-पिता की लम्बी आयु के लिए, जिन्होंने हम सबको सुंदर संस्कार दिए। आइए, जलाते हैं एक दीप अपने गुरुजनों के लिए, जो अच्छी शिक्षा…
स्लेट है तेरा भविष्य – रामपाल सिंह ‘अनजान’
यह स्लेट है तेरा भविष्य, तेरे संग है किसी का असीस। लग रहा है तुम अबोध नहीं, उन रेखाओं का तुझे बोध नहीं। एक गतिविधि में है तुम लीन, तुझ…
अदृश्य जीवन चालक- अमरनाथ त्रिवेदी
यह जीवन क्या है ? जहाँ संवेदनाओं के तार जुड़ते हैं, अपने कहाने वाले भी मुड़ते हैं। मनुष्य कभी अपनों से घिरा होता है, कभी परायों से मिला होता है,…
अदृश्य जीवन चालक- अमरनाथ त्रिवेदी
कोई तो चलानेवाला होता है यह जीवन क्या है ? जहाँ संवेदनाओं के तार जुड़ते हैं, अपने कहाने वाले भी मुड़ते हैं। मनुष्य कभी अपनों से घिरा होता है, कभी…
हृदय का कूप माँ – अवनीश कुमार
माँ! केवल माँ नहीं है वो, घर का दीया है, दीये की बाती है, चूल्हे की आग है, तवे की रोटी है, घर का द्वार है, द्वार की चौखट…
मेरे दोस्त – संजय कुमार
ये कैसे दोस्त हैं मेरे मुझे बूढ़ा होने नहीं देते सभी दूर हैं मुझसे कोई नहीं है आस-पास। पर सभी जुड़े हैं एक दूसरे से मोतियों की माला की तरह…
मेरे राम- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। राम राग, राम त्याग, राम तो अनंत है। राम जप है, राम तप है, राम आदि अंत है। ज्ञान…