हे हरि! क्लेश हरो। विधा गीत। मेरे पीछे पड़ा जगत है,कर दो मालिक मदद जरा। सूख रहे जीवन उपवन को,हे हरि!कर दो हरा-भरा।। देना है तो दे दो मुझको,हमको तुम…
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माता की आराधना – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
दुर्गा मांँ के मंदिर में, जलता अखंड ज्योति, आओ सब मिल करें, माता की आराधना। नैवेद्य कर्पूर धूप, चंदन अक्षत दीप, हाथ लेके नर-नारी, करते हैं साधना। श्रद्धा भक्ति भाव…
शहर की चीख – अवनीश कुमार
धक्के खाते लोग, दर-दर भटकते लोग, जहरीली हवा निगलते लोग, सपनों को रौंदते–कुचलते, एक-दूसरे से आगे निकल जाने की चाह में अपराध की सीढ़ी चढ़ते लोग, सुकून की तलाश में…
यह चिड़िया कहाँ रहेगी – संजय कुमार
बोलो अब मैं कहाँ रहूँगी बच्चे मेरे कहाँ रहेंगें आती है हम सब से कहने अपनी चीं चीं मधुर आवाज में कभी कभी यह मधुर कलरव से जैसे शिक्षक समझाते…
सुन री दीया – अवनीश कुमार
सुन री दीया काश! तू सुन पाती, मेरी विरह-व्यथा समझ पाती। तेरी जलती लौ से, क्या-क्या अनुमान लगाऊं? मद्धिम पड़ती लौ से, क्या-क्या कयास लगाऊं? बिन पिया, दीया, तुझे क्या-क्या…
आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद – राम किशोर पाठक
आम आदमी का अंदाज – हरिपद छंद आज आदमी आम हो गया, नहीं रहा कुछ खास। बदल रहे अंदाज सभी के, रहा नहीं विश्वास।। दोष रहा भर सबके मन में,…
माँ के जाने के बाद – नीतू रानी
विषय -पापा माँ के जाने के बाद पापा, तुम्हीं मेरे जीवन आधार पापा———-। माँ के जाने—————२। तुम्हीं मेरे माता-पिता तुम्हीं हो तुम्हीं मेरे बंधु सखा, तेरा हाथ रहे मेरे सिर…
मां के बिना – मनु रमण चेतना
मां के बिना अब मेरा देखो , सूना यह संसार है। उदासी है घर में छाई, टूटा गम का पहाड़ है। खोई है मेरे घर की खुशियां , फींका अब…
बेज़ुबाँ-अदिति भूषण
आज दर्द की महफ़िल में, अश्क़ों ने कुछ ऐसा समाँ बाँधा, डूबा डाला सबको अपने ही रंग में, सपनों के घूँघरु टूटे, शिशे दिल के टुकड़े सरे आम हुए। बेबसी…
तू मेरी कली- डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
मैं बगिया हूँ तू मेरी “कली” माँ “तरू” है तू उसकी डाली, बड़े प्यार से तुझको सींचा है वह धरा की है सुंदर माली। तू”खिलना” जितना जी चाहे मत…