शहर की चीख – अवनीश कुमार

धक्के खाते लोग, दर-दर भटकते लोग, जहरीली हवा निगलते लोग, सपनों को रौंदते–कुचलते, एक-दूसरे से आगे निकल जाने की चाह में अपराध की सीढ़ी चढ़ते लोग, सुकून की तलाश में…

सुन री दीया – अवनीश कुमार

सुन री दीया काश! तू सुन पाती, मेरी विरह-व्यथा समझ पाती। तेरी जलती लौ से, क्या-क्या अनुमान लगाऊं? मद्धिम पड़ती लौ से, क्या-क्या कयास लगाऊं? बिन पिया, दीया, तुझे क्या-क्या…

माँ के जाने के बाद – नीतू रानी

विषय -पापा माँ के जाने के बाद पापा, तुम्हीं मेरे जीवन आधार पापा———-। माँ के जाने—————२। तुम्हीं मेरे माता-पिता तुम्हीं हो तुम्हीं मेरे बंधु सखा, तेरा हाथ रहे मेरे सिर…

दहलीज में सिमटी जिंदगी का सबक- विकास कुमार

भीड़ भरी इस दुनिया में कूप सन्नाटा पसरा है। जब हवा ही कातिल हुई, फिर किस सांस का आसरा है।। घुटनों के बल अब सत्ता है। दंभ, ज्ञान,सामर्थ्य अब, लगता…