दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

भारत देश महान है, पावन जिसका नाम। ज्ञान-चक्षु से देखिए, निर्मल है अभिराम।। आजादी का अर्थ यह, करें देश-हित काज। धैर्य लगन से हों सतत् , देश बने सरताज।। आजादी…

अमर निशानी तिरंगा – रत्ना प्रिया

त्याग, शौर्य, तप, बलिदान की, अनुपम अमिट कहानी है | भारत के वीर सपूतों की, तिरंगा अमर निशानी है || केसरिया रंग से रँगा है, दामन वीर जवानों का, माँ…

हमारे मुंशी प्रेमचंद – मनु रमण चेतना

हमारे मुंशी प्रेमचंद (जयंती विशेष) साहित्यिक आकाश में,उगा एक दिव्य चंद्र , और कोई नहीं वो , हमारे मुंशी प्रेमचंद! आनंदी का लाल वो,अजायब का भाल वो, रचना जिनकी स्वच्छंद,…

सोए को जगाइए – एस.के.पूनम

कलम के सौदागर, प्रमाण लेकर आज, जगत के सम्मुख खड़े,होकर दिखाइए। पन्ना-पन्ना भर गया, गहन चिंतन शोध, तिमिर को भेद कर,सोए को जगाइए। क्रांति की लालसा लिए, डूबे रहे विचारों…

रूपघनाक्षरी – एस.के.पूनम

संग्राम क्यों होते रहे, संघर्ष है विचारों की, अहंभाव समाहित,मन करे परेशान। केवल मानव नहीं, प्रकृति के कण-कण, द्वंदवाद से ग्रसित,यह देख हूँ हैरान। स्वर्ण युग की लालसा, लुप्त हुआ…

धान की बुआई – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मिलके लुगाई संग धान की बुवाई करें, फसल उगाने हेतु किसान लगाता जोर। हल उठा काँधे पर खेतों की जुताई हेतु, चल देता बैलों संग देखो जब होता भोर। रात…

बाल कविता – एस.के.पूनम

बाल मन कहाँ रुके, कहीं नहीं वह झुके, खेल खेले मस्त-मस्त,होए न पस्त कभी। नदी तीर रोज जाते, बालू से घरौंदा बने, महल हो सपनों का,नहीं सोचते अभी। सुबह को…

बेबस इंसान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

रूप घनाक्षरी छंद पानी हेतु किसानों की नजरें तरस रहीं, धूल उड़े सावन में देख रहे आसमान। नमी बिना खेतों में ही बिचड़े झुलस गए, सीने बीच किसानों के दब…

मनहरण – एस.के.पूनम

पहले भी छोड़ा यान, पहुँचा चँद्रमा पर, भटका था वह राह,गुमनामी में खोया। भारत की गरिमा का, इतिहास है पुराना, अनगढ़ अविष्कार कहने पर रोया। राष्ट्रवाद का अगन अभियान बन…