पगडंडी पर भागे ऐसे, बालक सुलभ सलोने हैं। नन्हीं-नन्हे साथ-साथ हैं, अनुभव नए पिरोने हैं। पगडंडी भी स्वागत करने, हरियाली के बीच खड़ी खड़ी फसल ललकार रही है, शक्ति और…
Category: padyapankaj
Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक
संविधान- लावणी छंद – राम किशोर पाठक नीति नियम का ग्रंथ यही है, जिसके सन्मुख समरस रहते। देश चलाते हैं हम जिससे, संविधान उसको कहते।। आजादी जब हमने पायी, हमको…
जिए जा रहा हूॅं- गजल राम किशोर पाठक
१२२-१२२-१२२-१२२ उदासी छुपाकर जिए जा रहा हूँ। तभी तो लबों को सिए जा रहा हूँ।। निगाहें जिन्हें ढूँढती है हमेशा उन्हें बेनजर अब किए जा रहा हूँ।। उधारी चुकाना…
जीवन में शिक्षा का स्थान – अमरनाथ त्रिवेदी
मन से न कभी भाग पाएँगे, सदा शिक्षा का अलख जगाएँगे। जीवन से शिक्षा का इतना नाता, इसके बगैर न हम कुछ कर पाएँगे। शिक्षा ही मनुष्य को पशु…
शिक्षक – कहमुकरी राम किशोर पाठक
शिक्षक – कहमुकरी सबके हित को तत्पर रहता। अपने हक में कभी न कहता।। दोष गिनाते बने समीक्षक। क्या सखि? साजन! न सखी! शिक्षक।।०१ भूली बिसरी याद दिलाए। रोज नया…
राष्ट्र भक्त हम, कहलाएँ- वासुदेव छंद गीत राम किशोर पाठक
राष्ट्र भक्त हम, कहलाएँ- वासुदेव छंद गीत राष्ट्र हेतु हम, मिट जाएँ। राष्ट्र-भक्त हम, कहलाएँ।। आओ मिलकर, पले यहाँ। कदम मिलाकर, चले जहाँ।। गीत संग हम, यह गाएँ। राष्ट्र-भक्त हम,…
तोटक छंद वर्णिक-रामपाल प्रसाद सिंहअनजान
तोटक छंद वर्णिक(112) 112-112-112-112 दो चरण सम तुकांत दिन में दिखते मन के सपने। हिय में रहने लगते अपने।। रचने लगते शुभ भाव यहाॅं। भरने लगते मन घाव यहाॅं।। सजने…
अधूरे प्रेम कहानी की किताब – चित्तेश्वर झा
अधूरे प्रेम कहानी की किताब : हम वो किताब हैं जिसके आखिरी पन्नों पर दिल दस्तक देती है और मांगती है हिसाब किताब के एक एक पन्नों का मेरे…
शुभकामना संदेश – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
शुभकामना संदेश मध्य विद्यालय दरबे भदौर*प्रखंड पंडारक के प्रधानाध्यापक *भाई रामपाल सिंह अनजान जी का दिनांक ३१,१०,२०२५ को विद्यालय से सफल व निर्विघ्न सेवा समाप्ति के अवसर पर पेश है…
संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक
संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक चंद पैसों में भली वह, जिंदगी जीते हुए। आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।। बैठ चौपालें लगाकर, बात…