जो गौतम की है तपोभूमि, जिसे महावीर का मिला प्यार, वह भारत का गौरव बिहार।। कोसी, फल्गु, बूढ़ी गंडक, इस धरती को पहुंचाती ठंडक, सदियों से है पावन करती, बहती…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
बिहार गीत – जयकृष्णा पासवान
उठो-उठो होलैय बिहान गे बहिना । हमरो बिहार छै महान…२।। “गांधी जी के कर्म भूमि” कुंवर सिंह के वीरता।२ “धर्म भूमि अशोक के” आसमान गे बहिना।। हमरो बिहार छै महान…।२…
चारो फल पाइए- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
प्रभाती पुष्प 🌹🙏🌹🙏🌹🙏 मनहरण घनाक्षरी छंद भोलेनाथ अंतर्यामी, तीनों लोकों के है स्वामी, लंबोदर माता शिवा-शरण में आइए। भांग-भस्म, कंदमूल, धतूरा के फल-फूल, बेलपत्र गंगाजल, शिव को चढ़ाइए। सिर ले…
मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या:-मनहरण घनाक्षरी 🌹कविता सुनाइके🌹 काव्य पथ पर चला, शब्द जोड़-जोड़ कर, प्रेम गीता लिख दिया,शब्दों को सजाइके। विचारों में डूब कर, तूलिका पकड़ कर, थमा नहीं रुका नहीं,भावों…
चमकी को धमकी- विवेक कुमार
गर्मी की जब आहट आती, चमकी की धमकी याद आती, बड़ी तेजी से पैर फैलाती, बच्चों की काल बन जाती, अभिभावक को खूब हड़काती, अपनी चाल चल ही जाती, अपना…
जय होगी- मनोज कुमार दुबे
आज नही तो कल तुम्हारी ही जय होगी भाग्य नही केवल मेहनत से ही तय होगी अंधकार का नाश प्रकाश केवल कर सकता है मनुष्य वह साधक साध्य सभी कर…
रूप घनाक्षरी छंद- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
गुरू को समर्पित बागानों में फल-फूल, खेतों बीच कंद-मूल, सुमन को बसंत में, ‘रवि’ महकाता कौन! सूरज कहां से आता ,रोज रात कहाँ जाता, ऊँचा नीला आसमान, तारे चमकाता कौन?…
नारी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
समाज की बलि नित्य बनती है औरत, क्या समाप्त हो गई हमें इसकी जरूरत? श्रद्धा से प्रेरणा पा मनु को आई जागृति, नारी समाज के दामन से जुड़ी भारत की…
पावन होली आई है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
विधा: गीत(१६-१४) आओ स्नेहिल रंग उड़ाओ, पावन होली आई है। बच्चे बूढ़े नर- नारी पर, कैसी मस्ती छाई है।। सुंदर है बच्चों की टोली, सबके कर पिचकारी है। गली- गली…
होली तेरे संग चले -मनोज कुमार
होली तेरे संग चले हर एक कली जब बोल उठे, मादक मंजर रस टपके, कोयल कूके तन तरसे, बाग की पक्षी चहक उठे, मन मोर दीवानी मचल कहे, चल छोड़…