प्रेम वात्सल्य की मिशाल, मेरी मां है सबसे कमाल, मुझे गर्व है कि मैं हूं उनका लाल, ममता की प्रतिमूर्ति है वो बेमिशाल, करुणा बरसाती, अपने ही लाल, नाजों से…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
होली-गिरिधर कुमार
होली आई है सच में फिर अबकी बार, फिर सजायेंगे हम रंगों की बारात, खुद के कूचे से बनायेंगे, रंगों में डूबे हंसते चेहरे, कुछ मेरी तरह, कुछ तुम्हारी तरह,…
लता- गिरिधर कुमार
वह जो सुरों का साज था, वह जो सुरों की आत्मा थी, जहां बसती थीं भावनाएं, हंसता,रोता था हर कोई, वह अमन का समुंदर सा, वह लता है, वह लता…
एक श्रद्धांजलि-गिरिधर कुमार
जिनसे सीखे सपने बुनने जिनसे गुनगुनाना सीखा, अलविदा लता आपसे हमने जिंदगी को आजमाना सीखा। सीखा हमने मुहब्बत की लौ कैसे दिल में मचलती है, कैसे कोई अमन की खुशबू…
एक कविता,स्वयं के लिए
एक कविता,स्वयं के लिए कुछ सच बताऊं,इससे पहले एक शपथ लेता हूँ आपसे, आप इसे भूलेंगे नहीं, मेरे साथ मेरे गम में डूबेंगे नहीं। मैंने खुली छूट दे रखी है…
एक कविता, बच्चों के लिए
एक कविता, बच्चों के लिए मेरे बच्चों! आज जरूरी नहीं है बहुत की मैं तुम्हारे प्रति नई शपथ लूँ इस मंच से लेकिन यह जरूरी है की इस बहाने मैं…
लक्ष्य के ही गिर्द-गिरिधर कुमार
तो क्या हुआ? जो हार गया मैं! अब भी मैं यहीं खड़ा हूँ, पूरे दम खम से, यहीं, यहीं, लक्ष्य के गिर्द। हार से अलग, जीत कहां है, दो नाम…
आज और अभी की कविता-गिरिधर कुमार
कविता ! कहाँ हो तुम, उदासियों की परत में दबी, यह कैसी आवाज है तुम्हारी, कराहने की, जैसे कोई सीसा सा चुभ गया हो, और सुंदर कल्पनायें निचुड़ सी गयी…
राष्ट्रभाषा का सम्मान-बीनू मिश्रा भागलपुर
राष्ट्रभाषा का सम्मान” संस्कृत की लाडली बेटी है यह हिंदी, जन जन की भाषा है यह हिंदी सुंदर, मनोरम, मीठी और सरल है यह हिंदी, तेजस्विनी है और अनूठी है…
हिंदी मेरी हिंदी-गिरिधर कुमार
आओ आज के दिन कुछ इतना कर लेते हैं हिंदी दिवस! का स्वागतम मन प्राणों से करते हैं! आओ करें अनुभूत जो असल है, निरन्तर है जो सत्य है, कल्पना…