जिंदगी का सफ़र- जयकृष्णा पासवान

घटा बनके मस्त गगन में, कजरी संग झूम जाता है। “राहों के मुसाफिर” यादों में बहकर।। सपनों का ख़्वाब सजाता है, “चुपके से देख कर फूल और” कलियां मनही मनमुस्कुराती…

मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम

सजी-धजी है वादियां,रंग-बिरंगे फूलों से, गुलाबों की पंखुड़ियां,बिखेरी सुगंध है। देव उतरे बागों में,शीश झुकाए खड़े हैं, भींगी-भींगी अँखियाँ,खुशियाँ अगाध है। हरी-भरी है घाटियां,हरी-हरी घास दिखी, ओस पर प्रभा पड़ी,रंगो…

मनहरण घनाक्षरी-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

पक्षियों ने पंख खोला,उड़ने से डाल डोला, सुगंधित मंद-मंद , बहता पवन है। सरसों के फूल खिले, खेत दिखे पीले-पीले, चारों ओर हरियाली, खिलता चमन है। दिन देखो ढल गया,…

मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1)- एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी:-“भोर”(खण्ड-1) भोर ने बुलाया जब,रवि दौड़ा आया तब, मिटा अंधकार सब,बुलाने में हित है। खाट छोड़ दिया तब,उजियारा हुआ जब, नयनों में ज्योत अब,सुबह की जीत है। पत्तियाँ चमकी…

घनाक्षरी”मेरी कामना” – एस.के.पूनम

जाग कर प्रातःकाल,निकलूँ अकेले राह, मेरे दोनों चक्षुओं में,भरे कई रंग हैं। मृदुल झंकार सुन,नव अनुराग चुन, मन पुलकित होता, जीने का ये ढ़ंग है। उस पथ को मैं चला,जहाँ…