बिन गोली तलवार बिना, कमर टूट रही है। भारत के कोने -कोने में, हहकार मच रही है ।। कौन है भाई ,कहां का भाई वह है महंगाई ,वह है महंगाई।…
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Through Padyapankaj, Teachers Of Bihar give you the chance to read and understand the poems and padya of Hindi literature. In addition, you can appreciate different tastes of poetry, including veer, Prem, Raudra, Karuna, etc.
हल्का हो गया बस्ता – एस.के.पूनम
रात्रि-पहर जल्दी से सो जाता था, बोझिल मन से प्रातः उठ जाता था, सहम जाता बस्ते का बोझ उठाने से, कंधों की वेदना से तड़प जाता था। जाग गया है…
राष्ट्र सेवा – नवाब मंजूर
जब मुश्किल में हो देश तो बंधु पीछे आगे न देख लग जा , भिड़ जा , तन से मन से यथासंभव धन से! धकेलो रथ का पहिया दम लगाकर…
प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी वर्षा ऋतु आने पर, नदी नाले भरे जाते, आनंद से रहती है मछली तालाब में। लोगों की नज़र बीच, छिपाने से छिपे नहीं, असली छुपाते लोग चेहरा नक़ाब…
काली घटा – जय कृष्ण पासवान
काली घटा छाई है नभ में, मौसम का रंग सुहाना है। धरती फूलों की हार है पहनी, वो हवा का रुख पुराना है ।। झम-झम करती वर्षा रानी, झुंझुर के…
एकावली – सुधीर कुमार
मात्रा — १० यति — ५,५ अंत — दीर्घ २१२ , २१२ मौत से , जो डरे । आज ही , वो मरे ।। छोड़ दे , डर सभी ।…
मनहरण घनाक्षरी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
रवि छिप जाता जब, चांद आसमान तब, सरोवर पड़ा जल झिलमिल करता। वर्षा ऋतु जाने पर, शरद के आने पर, कितना जतन करें नदी नहीं भरता। समय के आने पर,…
चन्द्र ग्रहण- नवाब मंजूर
एक नेत्र धोखा है सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी जब आती है तब होता है! किसी गलतफहमी में न पड़ना अंधविश्वास में नहीं जकड़ना ज़िन्दगी जीने को शिक्षा की…
दोस्ती – जयकृष्ण पासवान
दोस्ती तो दिल का बंधन है, दोस्ती ललाट का चंदन है। दोस्ती तो सागर में लहरों के समान है, दोस्ती पहाड़ों में झरनों के समान है।। दोस्ती तो फूलों में…
धारा के विपरीत चलना सीखो- संजय कुमार
चलते हैं सब धारा के संग-संग धारा के विपरीत चलना सीखो। दिवा में जब हम सोते हैं , आँख खुले तो नया दिवस है दिवस हर नया कुछ सिखलाता है।…