रिश्तों का मेला सबसे सुंदर, सबसे मनहर, होता यह रिश्तों का मेला, मिलजुल कर सब हँसते-गाते, प्यार बाँटते जश्न मनाते, कोई न रहता यहाँ अकेला। रिश्तों का यह अनुपम मेला……
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक-सैयद जाबिर हुसैन
एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक एक से तीन, तीन से पांच, पांच से वर्ग एक। इसी में उलझता-सुलझता रहता है।। एक शिक्षकीय विद्यालय का एक शिक्षक। व्यथा न कहना…
शांति जिसके भाल वो बहादुर लाल- विवेक कुमार
शांति जिसके भाल वो बहादुर लाल गांधी के संग जन्म ले थामा था जिसने कमान, मातृभूमि को पराधीनता की जंजीरों से करने आया जो मुक्त महान। शांति जिनके भाल वो…
आईना-प्रमोद कुमार
आईना तब तो तू बहुत खुश था, सुन्दर रूप अपनाया था। तेरे अरमानों के माफिक मैंने तुझको सजाया था।। मस्ती की झलक आंखों में, रग में गजब रवानी थी। बशा…
बापू की निशानी-जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
बापू की निशानी देश की आजादी पर अर्पित कर दी जवानी है, ये आजादी तो बापू की अमिट निशानी है। पोरबंदर का एक राजदुलारा बन गया दुनिया की आंखों का…
एक था मोहन-अरविंद
एक था मोहन एक था मोहन बड़ा निडर था लाठी लेकर हाथ में, चला अकेले फिर तो सारा जग भी चल दिया साथ में। क्रोध, लोभ, जिह्रवा, पुरुषत्व को खुद…
सत्य अहिंसा के पुजारी-अशोक कुमार
अहिंसा के पुजारी गांधी थे पुतलीबाई के संतान, उनको जानता है सारा जहान। सादगी है उनकी पहचान, कर गए काम महान।। गुजरात के पोरबंदर में जन्मे, पुतलीबाई के लाल महान।…
शिक्षक की चाह-अपराजिता कुमारी
शिक्षक की चाह मैं शिक्षक हूंँ, हाँ मैं शिक्षक हूंँ मैंने चाहा शिष्यों को शिखर तक ले जाने वाला बनूं, मैंने चाहा अपने मन में क्षमा की भावना रखूं, कमियां…
चलो चलें करें मतदान-विवेक कुमार
चलो चलें करें मतदान 5 साल बाद, मौका मिला हमें पुनः एक बार, अपने हक और अधिकार का, कर प्रयोग, बनाएं सशक्त जनाधार, दिखाएं अपने वोट का दम, घर से…
परोपकार-ब्यूटी कुमारी
परोपकार वह मानव जीवन व्यर्थ गया, जो किया कभी उपकार नहीं। जो मानव, मानव के काम आए, उसका जीवन सफल हो जाए। स्वयं के लिए जीवन जीना, तो पशुता कहलाता…