शिक्षक हैं शिक्षा के सागर, ज्ञान के गागर हैं शिक्षक। कुंभकार, सृजनहार और भविष्य के निर्माता शिक्षक। ज्ञान की दिव्य ज्योति जलाकर, अंधकार से प्रकाश में लाते शिक्षक। शिक्षक हैं…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
शिक्षक महान- एम. एस. हुसैन कैमुरी
जो कराए सही ग़लत की पहचान वही तो कहलाते हैं शिक्षक महान। शिक्षक ही आँखों से चादर हटाते, जिस से होते अभिन्न और अज्ञान। शिक्षक की सेवा जो किया…
यह सौभाग्य हमारा है – रत्ना प्रिया
तक्षशिला, नालंदा जैसी, अविरल ज्ञान की धारा है। जन्मभूमि यह भारत-भू है, यह सौभाग्य हमारा है।। ज्ञान, कर्म के दीप यहाँ पर, सदा उजाला करते हैं, गुरु-शिष्य की परंपरा में,…
गुरु हमारे वो कहलाते – सुरेश कुमार गौरव
ज्ञान चक्षु से जो सिखलाते सही-ग़लत को जो समझाते, विषयक ज्ञान सदा जो देते, नैतिक मूल्यों को बतलाते, व्यवहारिकता को जो समझाते, गुरु हमारे वो कहलाते। नैतिकता का सदा…
मैं शिक्षक- प्रियंका कुमारी
मैं शिक्षक, मैं कुंभकार हूँ। देश के भविष्य को, गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ। मैं शिक्षक, मैं कुंभकार हूँ। बुद्धि से कौशल से, क्रीड़ा से कर्म से, ज्ञान से विज्ञान से,…
शिक्षक की गरिमा – अमरनाथ त्रिवेदी
आज शत शत नमन करें उनका, जिन्होंने शिक्षा का दीप जलाया। हम सबने उस ज्योति शिखा को, हर पल अपने गले लगाया।। नमन करें उस राष्ट्र शिक्षक को, जिनने…
अबला नहीं तू सबला हो- अमरनाथ त्रिवेदी
हजारों वर्ष घटी पूर्व की घटना, हा! कलियुग में भी जारी है। बहन, भतीजी, माँ ,भांजी की अब भी खींची जाती साड़ी है। हा! आज भी दानवता जग में…
दैनिक कार्य – गिरीन्द्र मोहन झा
सूर्योदय से पूर्व जाग उदित सूर्य संग क्रियाशील जीवन का आरंभ करना, पृथ्वी, सूर्य, गुरु और ईश्वर की थोड़ी उपासना अवश्य करना, योगाभ्यास, व्यायाम कर अपने शरीर को स्वस्थ…
सड़क सवारी और सुरक्षा – अमरनाथ त्रिवेदी
वादा करें अपने दिल से , न कभी गाड़ी तेज चलाएँगे। इससे जान जोखिम में पड़ती, बिना हेलमेट कभी न बढ़ाएँगे।। तेज चलाते हैं जब गाड़ी , तो उसके…
गीता ज्ञान- ब्यूटी कुमारी
रणभूमि में धनुष त्याग रथ के पीछे बैठ गए अर्जुन। भगवान बोले नपुंसकता को त्याग युद्ध के लिए खड़ा हो जा अर्जुन। गोविंद से कह युद्ध नहीं करूँगा चुप हो…