राष्ट्र भक्त हम, कहलाएँ- वासुदेव छंद गीत राष्ट्र हेतु हम, मिट जाएँ। राष्ट्र-भक्त हम, कहलाएँ।। आओ मिलकर, पले यहाँ। कदम मिलाकर, चले जहाँ।। गीत संग हम, यह गाएँ। राष्ट्र-भक्त हम,…
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तोटक छंद वर्णिक-रामपाल प्रसाद सिंहअनजान
तोटक छंद वर्णिक(112) 112-112-112-112 दो चरण सम तुकांत दिन में दिखते मन के सपने। हिय में रहने लगते अपने।। रचने लगते शुभ भाव यहाॅं। भरने लगते मन घाव यहाॅं।। सजने…
शुभकामना संदेश – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
शुभकामना संदेश मध्य विद्यालय दरबे भदौर*प्रखंड पंडारक के प्रधानाध्यापक *भाई रामपाल सिंह अनजान जी का दिनांक ३१,१०,२०२५ को विद्यालय से सफल व निर्विघ्न सेवा समाप्ति के अवसर पर पेश है…
संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक
संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक चंद पैसों में भली वह, जिंदगी जीते हुए। आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।। बैठ चौपालें लगाकर, बात…
तुम मुझको नारी रहने दो… डॉ स्वराक्षी स्वरा
गीततुम मुझको नारी रहने दोअपनी अधिकारी रहने दो ।। सत्ता का लोभ नहीं मुझकोन दौलत की ही चाहत है पैरों के बंधन तोड़ मेरे निर्बन्धता में राहत है चालें तेरी…
चुनावी जुमले बाज़ी – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
चुनावी जुमले बाज़ी जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’ जंगल राज कह कर सबको डराते हैं, विकास-भ्रष्टाचार के, मूद्दे हुए गौण है। युवाओं का पलायन,रोके नहीं रूक रहा, मंहगाई के नाम…
आमोद हारी मुरारी- सर्वगामी/ अग्र सवैया छंद – राम किशोर पाठक
आमोद हारी मुरारी- सर्वगामी/ अग्र सवैया छंद – राम किशोर पाठक आमोद हारी मुरारी सुनो भक्त का, भक्त तेरा तुझे ही पुकारा। राधा बिहारी धरूँ ध्यान तेरी सदा,…
राष्ट्रीय एकता दिवस – राम किशोर पाठक
राष्ट्रीय एकता दिवस दिवस राष्ट्रीय एकता वाला। लेकर समरसता का माला।। आओ इसकी कथा सुनाएँ। सरदार पटेल से मिलवाएँ।। जन्म दिवस उनका है आज। संघटित भारत करने का काज।।…
बारिश और पकौड़े : बाल कविता – अवधेश कुमार
बारिश और पकौड़े : बाल कविता – अवधेश कुमार बाहर हो रही थी झमाझम बारिश, मन मे हो रही थी पकौड़े की ख्वाहिश। डर लग रहा था कैसे कहूँ…
धूप कहां देखती अपना घर- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
मदिरा सवैया211-211-211-211=211-211-211-2 धूप कहाॅं दिखती अपना घर। काॅंप रही किरणें अब ऑंगन,देख प्रभा यह पस्त हुई।गर्म हवा अब भाग रही खुद,कोयल गाकर मस्त हुई।।काग बिना सजती गलियाॅं अब,धूप खिली दिन…