दीपावली-आँचल शरण

Anchal

दीपावली

आओ मिलकर दीप जलाएँ
अंधियारों को दूर भगाएँ
दीप से दीप जला कर
रौशन घर आंगन करवायें
आओ सभी दीपावली मनाएँ।

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घर आंगन को स्वच्छ बनाएँ
कूड़ा करकट दूर हटाएँ,
लक्ष्मी गणेश की मूरत लाएँ
पूजा, अर्चना से घर जगमगाएँ
रिद्धि-सिद्धि आनंद छाएँ।

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देव धनवंतरी, कुबेर है आए
हाथ जोड़ कर उन्हें मनाएँ,
सदा रहें जीवन में उनका साथ!
धन-वैभव से निर्धनता मिटाएँ
जीवन खुशियों से भर जाए।

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पटाखे-फूल झड़ियाँ कम चलाएँ
प्रदूषण से जग बचाएँ!
घी के सुंदर दीप जलाएँ
चायनीज बत्ती दूर भगाएँ,
प्यारा घरौंदा फूलों से सजाएँ।

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दीपावली है अंधियारा जीतने का त्योहार,
दीप जला कर अमावस को पूनम बनाएँ!
लौटे थे कभी श्रीराम पूरी कर चौदह वर्ष का वनवास,
जगमगाई थीआयोध्या नगरी, चमक उठी थी सारी फिजाएँ।

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आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पूटोला
बायसी पूर्णियाँ बिहार

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