कहती अम्मा मुझको लल्ला।
फिर क्यों करती है माँ हल्ला।।
कान्हा थें कितना ही नटखट।
माखन मिसरी खाते चटपट।।
घूमा करते सदा निठल्ला।।
फिर क्यों करती है माँ हल्ला।।०१।।
फिर भी सबके सदा दुलारे।
मैया के आँखों के तारे।।
रखे छुपाकर अपने पल्ला।
फिर क्यों करती है माँ हल्ला।।०२।।
मैं तो बातें सबकी मानूँ।
तंग नहीं करना मैं जानूँ।।
खेल सकूँ बस थोड़ा बल्ला।
फिर क्यों करती है माँ हल्ला।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला
बिहटा, पटना, बिहार।
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