आओ कलम
तुम्हीं को पूजें,
तुम्हीं को चाहें,
तुम्हीं को गले लगाएं l 2
आओ कलम !
फिर साथ में तेरे,
आगे कदम बढ़ाएं ।
आगे कदम बढ़ाएं ll
तुम रंग-बिरंगे
मनमोहक हो ,
हाथों में पट ही जाते हो l
कैसे करूं बखान मैं तेरा?
तुम हर-घर पूजे जाते होll
एक सहारा
तुम ही तो हो l
बस यार हमारा,
तुम ही तो हो ll 2
बड़ी सिद्दत से
मन करता है l-2
सीने पर तुझे सजाएँ ...
आओ कलम !
फिर साथ में तेरे,
आगे कदम बढ़ाएं l
आगे कदम बढ़ाएं ll
यहाँ शुद्ध हवा है ,
हरियाली है ,
फिर भी घुटन सी होती है l
तन अपना है ,
मन भी आपना,
पर दिल में चुभन सी होती है ll
एक टीस-रिसता
मन मन्दिर में l-2
क्यों प्रीत पराई गाएं ?
आओ कलम !
फिर साथ में तेरे,
आगे कदम बढ़ाएं l
आगे कदम बढाएं ll
मन करता था,
रुक जाएं यहीं पर,
बस रुक कर खुशियाँ पाएं l
कुछ दिन चैन से
जी लें अब तो ,
और झूमे-नाचें-गाएँ ll
पर!
इस पड़ाव पर सुकून नहीं हैl
रोटी है, दो जून नहीं है l
लाज - हया,
कहाँ याद किसी को ?
ऐठन है,अकड़ है, हड्डी है,
पर काटो तो खून नहीं है ll
जग सारा सूना
जिन्दगी सूनी l -2
है सूनी सारी फिजाएं....
आओ कलम !
फिर साथ में तेरे ,
आगे कदम बढ़ाएं l
आगे कदम बढ़ाएं ll
तुम तो खेलते
शब्दों से हो,
लोग विश्वास से
खेला करते हैं l
यहाँ मोल नहीं
विश्वास पात्र की,
पल में रौंदा करते हैं l
पल में रौंदा करते हैं ll
तुम्हें लाख फिक्र हो
औरों की
ये भला उन्हें क्यों भाएं…
आओ कलम!
फिर साथ में तेरे
आगे कदम बढ़ाएं l
आगे कदम बढ़ाएं ll
………
गौतम भारती
पूर्णिया।
