हिंदी है अस्मिता हमारी -प्रदीप छंद गीत
मन के भावों को करती जो, सरल सहज गुणगान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।
दसों दिशाएँ गूँज रही है, हिंदी की जयकार से।
पुलकित करती धरा रही जो, मनमोहक संस्कार से।।
सकल विश्व हो हिंदी भाषी, अपना यह अरमान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।०१।।
नौ रस में जो सिंचित करती, भाव सभी संसार का।
श्रवण दृष्टि में समता रखती, अनुपम निज व्यवहार का।।
शुचिता का यह पाठ पढ़ाती, देकर सबको मान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।०२।।
समृद्ध भाषा हिन्दी अपनी, शब्द शक्ति भंडार से।
वर्ण संकेत भी जानी जाती, बहुत बड़ी आकार से।।
सरल सौम्य है भाषा अपनी, हमको जिसकी शान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।०३।।
लिखने पढ़ने में समता है, सोहे निज व्यवहार से।
सत्य सनातन हर्षित होता, हिंदी के आधार से।।
हिंदी के आदर्शों पर तो, गर्वित हिंदुस्तान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।०४।।
देवनागरी लिपि में हरपल, सुंदर लगती रूप से।
दुनिया की भाषाओं में है, शामिल सदा अनूप से।।
यही मातृभाषा “पाठक” की, बोले आज जहान है।
हिंदी है अस्मिता हमारी, इससे हर पहचान है।।०५।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क -9835232978
