जमाने में – गजल – राम किशोर पाठक
कौन है जो कहे जमाने में।
मौन सारे लगे बचाने में।।
आज अपने बहुत यहाँ रिश्ते।
है कई इस कदर दिखाने में।।
आपको मैं नहीं बता सकता।
कौन अपना यहाँ भुनाने में।।
खास विश्वास था मुझे जिसपर।
दोष मेरा वही गिनाने में।।
साथ मैंने दिया यहाँ जिसको।
है वही आज तो गिराने में।।
जुल्म मैं भी सहा बहुत यारों।
होंठ खुलता नहीं बताने में।।
चोट खाया हृदय यहाँ ऐसा।
बेअसर है दवा लगाने में।।
वक्त मेरा कुतर रहा सपना।
धैर्य फिर भी लगा सजाने में।।
प्रेम मैंने किया जिसे ज्यादा।
बेवफा है लगा बनाने में।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
0 Likes
