जीवन सुंदर सरस – महामंगला छंद गीत, राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

जीवन सुंदर सरस, लगता हरपल खास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।

हारा मन कब सफल, मन के जीते जीत।
जो लेता है समझ, बदले जग की रीत।।
जीत सदा ही सहज, पाते जहाँ प्रयास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।०१।।

रिश्ते-नाते महज, बने नहीं दस्तूर।
हर किसी से सहज, स्नेह भरा भरपूर।।
बाँट प्रेम का सुमन, भरते सुखद सुवास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।०२।।

जय पराजय से सतत, जो होते भयहीन।
अपने हक को सहज, लेते हैं वे छीन।।
पा लेते हैं विजय, खुद पर रख विश्वास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।०३।।

सोच रखे शुभ अगर, शुभता लगती हाथ।
जग वाले भी सहज, देते उनका साथ।।
भाग्य लेख भी बदल, लिख देते इतिहास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।०४।।

श्रेष्ठ जनों का नमन, साधे अपना लक्ष्य।
दु:ख-दर्द का हरण, ईश्वर बनते रक्ष्य।।
देव कृपा अनवरत, उनमें भरे मिठास।
कर्म करे जो सतत, होता नहीं उदास।।०५।।

गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क -9835232978

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