हे मुरारी! अब लाज बचाओ ये कैसी विपदा आन पड़ी, चहुंँओर अंधियारा छाया है, अपने ही बने भक्षकगण से, हे मुरारी! अब लाज बचाओ। सृष्टि की जननी का मान नहीं,…
बच्चे और श्रीकृष्ण – रामकिशोर पाठक
कहते हैं लोग हैं कान्हा नहीं। मैं हूॅं कहता, तूने पहचाना नहीं।। कृष्ण जैसे यशोदा को थें लाडले, तू भी बच्चों को गर वैसा मान ले, देख नटखटपन अगर…
पालक रक्षक प्रभु श्रीकृष्ण- अमरनाथ त्रिवेदी
तुम गीता के उपदेशक जग में, तुम नंद के राज दुलारे हो। तुम द्वारकाधीश बने प्रभु , तुम वसुदेव पुत्र प्यारे हो।। जितने तुम माँ देवकी के प्यारे , यशोदा…
श्री कृष्ण-चरित-माला- हर्ष नारायण दास
ॐ श्री पुरुषोत्तम स्वामी। सर्वातीत सर्वघट-गामी।। निर्गुण मायारहित अनन्ता। मायाधीश सगुण भगवन्ता।। परम दयामय लीलाधारी। पृथिवी-भार-हरन अवतारी।। भव-दुख-भंजन, दुष्ट-विनाशी। बन्दीगृह निज रूप विकाशी।। बन्दीसुत बन्धक-दल-गंजन। वासुदेव श्री देवकीनंदन।। नन्दकुमार यशोमति-लाला।…
उठो बेटियों, अब तुम जागो- मधु कुमारी
उठो बेटियों, अब तुम जागो ना बेचारी, ना लाचार बनो। मचाओ हाहाकार, करो घोर चीत्कार, दुराचारियों का अब स्वयं संहार करो। बनो दुर्गा, बनो चंडी और काली का रौद्र अवतार…
पूछती है निर्भया- प्रियंका कुमारी
रात्रि चौराहे पे पड़ी, यह स्त्री कौन है? पूछती है निर्भया, निर्वस्त्र अब यह कौन है? क्या मेरी चीत्कार से , दहला कोई हृदय नहीं। या मेरी उसे वेदना का…
कब तक निर्भया – अपराजिता कुमारी
कब तक निर्भया बनती रहेंगी बेटियाँ, कब तक दरिंदों से लड़ती रहेंगीं बेटियाँ, कब तक अपनी अस्मत बचाती रहेंगी बेटियाँ? कब तक अपने ही घर में, कब तक अपने…
भाई का पैगाम- विवेक कुमार
रक्षाबंधन पर, भाई का पैगाम, सभी बहनों के नाम, ओ मेरी बहना, राखी तू जरूर बाँधना, रक्षा का मैं वचन भी दूँगा, मगर इस कलयुग में, राक्षसी प्रवृत मानवों में,…
रक्षाबंधन एक एहसास – राम किशोर पाठक
न पर्व है न त्योहार है यह तो है बस आपसी प्यार। मिलन है स्मरण है इसका भावपूर्ण है अनूठा संसार। कृष्ण की अँगुली पर द्रौपदी के साड़ी का…
रेशम धागा में अटूट नाता – गिरीन्द्र मोहन झा
नाता अटूट है- बहन और भाई, रेशम का धागा औ’ भाई की कलाई, बहन के लिए क्या-क्या सौगातें आईं, प्रेम की, रक्षा की, कितनी खुशहाली छाईं, राखी के ऋण से…