आओ कलम तुम्हीं को पूजें, तुम्हीं को चाहें, तुम्हीं को गले लगाएं l 2 आओ कलम ! फिर साथ में तेरे, आगे कदम बढ़ाएं । आगे कदम बढ़ाएं ll तुम…
मैं चाहूं भईया का प्यार -मनु कुमारी
मैं चाहूँ भईया का प्यार ! बहुत प्यारे हैं मेरे भईया, माँ पापा के दुलारे हैं मेरे भईया । ईश्वर उनकी रक्षा करना, वो सुख से खेवे जीवन नैया। ।…
एक सांस में जलता जीवन -अवधेश कुमार
एक सांस में जलता जीवन (नशा मुक्ति पर कविता) नशा नहीं है किसी समाधान, ये लाता केवल दुख का जहान। गांजा, सिगरेट, स्मैक, सुलेशन, युवा में बढ़ता सूखे नशे का…
भाई दूज…नीतू रानी
कार्तिक के महीना भरदूतिया के अछी शोर,जहिना एथिन भैया हम लागब हुनका गोअर। गाए गोबर लाए अंगना निपाएब अरबा चौर पीसी हम ऐरपन बनाएब,ताहि पर देब लाल सिंदूरक ठोपजहिना एथिन…
मन:स्थिति…बैकुंठ बिहारी
मन चंचल है द्रुतगामी है,अकल्पनीय है इसकी स्थिति,कभी व्यथित कभी विचलित,अबूझ है इसकी स्थिति,कभी आत्मकेंद्रित, कभी पराश्रित,अबोधगम्य है इसकी स्थिति,कभी किंकर्तव्यविमूढ, कभी स्वावलंबी,दुर्बोध है इसकी स्थिति,कभी हर्षित,कभी शोकग्रस्त,गूढ है इसकी…
भाई दूज -राम किशोर पाठक
भाई-दूज – गीत भाई-दूज हुआ फलदायी, फलित सदा अच्छाई से। अद्भुत हमने देखा जग में, प्यार बहन का भाई से।। कहते यम की किसे द्वितीया, आओ हम इसको जाने। कार्तिक…
लक्ष्य -बैकुंठ बिहारी
लक्ष्य जीवन का प्रथम उद्देश्य है लक्ष्य, सफलता की प्रेरणा है लक्ष्य, कर्तव्य की प्रेरणा है लक्ष्य, आत्म सम्मान की प्रेरणा है लक्ष्य, कृतज्ञता की प्रेरणा है लक्ष्य, स्वार्थ की…
स्वयं की खोज-अवधेश कुमार
स्वयं की खोज : – भीड़ में गुम है कोई पहचान , हर चेहरा / मुखौटा जैसे एक समान। धन की दौड़ हो या सुख की चाह, मन में दर्द…
बनकर कान्हा गिरधारी-रामकिशोर पाठक
बनकर कान्हा गिरधारी – गीत लीलाधर ने भू पर आकर, लीला की अद्भुत न्यारी। शोक मिटाए ब्रज वनिता की, बनकर कान्हा गिरधारी। पूजन रोका जब सुरपति का, इंद्र कोप थे…
गोवर्धन धारी -रामकिशोर पाठक
गोवर्धन धारी – गीतिका गोवर्धन की पूजा करने, निकले हैं सब नर नारी। करके मर्दन मान इंद्र का, झूम रहे गिरिवर धारी।। गोकुल वासी पूजन करते, सुरपति खुश हो जाते…