दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

रखें शिष्य के शीश पर, गुरु आशिष का हाथ। तिमिर सर्वदा दूर हों, पथ आलोकित साथ।। विद्यालय है ज्ञान का, परम सुघर भंडार। छात्र सदा पाते यहाँ, एक नया संसार।।…

बीज की चाह- मेराज रजा

  दाना हूँ मैं नन्हा-मुन्ना, मिट्टी में हूँ गड़ा-गड़ा! कैसी होगी दुनिया बाहर, सोच रहा हूँ पड़ा-पड़ा! मीठा-मीठा पानी पीकर, अंकुर मैं बन जाऊँ! बढ़िया खाद मिले तो खाकर, खिल-खिलकर…

सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी

सूरज दादा   सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े  में  क्यों इतनी  देर  लगाते हो ? पर शाम में  जल्द  ही  तुम कहीं  छुप जाते …

प्यारा-सा चाँद – भोला प्रसाद शर्मा

  चमक रहा है आसमान में, प्यारा-सा चाँद, सितारों के संग खेल रहा है प्यारा-सा चाँद। चुपके-चुपके झाँक रहा है बादलों की आड़ में झिलमिल रोशनी फैला रहा, पुरवाई बयार…

माँ बिना जहाँ भी कुछ नहीं – अवनीश कुमार

  माँ तेरा वो दुलारना तेरा वो पुचकारना तेरा वो लोरी सुनाना तेरा वो घिस-घिस बर्तन माँजना उससे निकले मधुर संगीत सुनना तेरा वो प्यार से डाँटना कभी चुप रहकर…

शिक्षा की ज्योति जलाने वाले- अमरनाथ त्रिवेदी

साथ मिलकर चलें, हम मिलकर रहें, एक  दिन मंजिल हमें जरूर मिल जाएगी। साथ मिलने और चलने से  ताकत  बढ़े, अरमानों को  निश्चित  पंख लग जाएँगे। कदम ही कदम  यूँ …

शिक्षा की ज्योति जलाने वाले- अमरनाथ त्रिवेदी

साथ मिलकर चलें, हम मिलकर रहें, एक  दिन मंजिल हमें जरूर मिल जाएगी। साथ मिलने और चलने से  ताकत  बढ़े, अरमानों को  निश्चित  पंख लग जाएँगे। कदम ही कदम  यूँ …