निपुण बनें हम- अवनीश कुमार

  हे प्रभु! हम बालक बड़े नादान, आप हमें दें यह वरदान। जल्दी निपुण, बन जायें हम, भारत के निपुण बालक कहलायें हम। पढ़ने- लिखने में हों बालक अच्छे, भाषा-गणित…

परिश्रम – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

अगर चाह हो कुछ करने की, करें नित्य श्रम का सम्मान। श्रम के आगे झुकते सारे, पूरे होते लक्ष्य महान।। एकलव्य के श्रम को देखें, वीर धनुर्धर हुआ महान। मल्लाहों…

गिलहरी – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

विद्यालय के प्रांगण में, है झूलती आम की डाली। उससे अक्सर आती जाती, कतिपय गिलहरियाॅं मतवाली।। बच्चों की किलकारी सुनकर, फूर्र-फूर्र फूर्रर हो जातीं। बच्चे उनकी ओर भी आते, चूँ…

पापा हमारे कितने प्यारे – अमरनाथ त्रिवेदी

ऐसे हमारे पापा प्यारे पापा  पापा  कितने  प्यारे, हम  बच्चों के  कितने न्यारे। हमें  समझाते  कितने अच्छे, बातें  करते  कितने  सच्चे। उनके बिना  न लगता  मन, बिना उनके  न  खिलता …

प्यारे थे गाँधी- एम. एस. हुसैन ‘कैमूरी’

सत्य अहिंसा के पुजारी थे गाँधी सादगी में जीवन गुजारे थे गाँधी। एक सूत्र में बांँध भारतवासी को, स्वतंत्रता का संग्राम छेड़े थे गाँधी। गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक गाँव…