संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक
चंद पैसों में भली वह, जिंदगी जीते हुए।
आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।।
बैठ चौपालें लगाकर, बात होती थी तभी।
आप आ जाते सभी थे, हाल लेने को सभी।।
दर्द सारे भूलते थे, जख्म कुछ सीते हुए।
आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।।०१।।
शाम ढलते ही जहाँ हम, पा रहे आराम थें।
भोर होते ही वहाँ पर, पूर्ण करते काम थें।।
मित्र सारे साथ रहते,भाव रस पीते हुए।
आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।।०२।।
याद आती है हमें जब, आँख होती नम अभी।
प्रेम गहरा था सभी से, पास अपने थें सभी।।
आज धन हम भर लिए है, और दिल रीते हुए।
आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
