शिक्षा सुलभ बनाना- राम किशोर पाठक 

Ram Kishor Pathak

विद्यालय कार्यभार लेकर, हैं खोये।

कागज में जैसे उलझ गए, हैं रोये।।

शिक्षा के नव अंकुर मन में, जो बोये।

चक्रव्यूह में फंँसा हुआ सा, है सोये।।

सुधार हमें व्यवस्था में भी, लाना है।

शिक्षा सुलभ बनाना मैंने, ठाना है।

बच्चे भी संकल्पित पढ़ने, आना है।

मैंने अपना धर्म इसे ही, माना है।।

कितना करना यत्न मुझे अब, जाना है।

मुश्किल लगता राह मगर मन, ठाना है।

समरस होकर साथ सभी के, पाना है।

दृढ़ निश्चय से मंजिल छूकर, आना है।।

कंटक पथ में खुद को मैंने, लाया है।

घना अंधेरा भरा हुआ भी, पाया है।

सुमन उगाने का अवसर भी, आया है।

निज कर्मो से नाम कमाना, भाया है।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 983523297

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