पुष्प अमलतास के – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

पत्तियां है हरी-हरी, वृक्ष लगे जैसे परी, पेड़ों में झूमते ये -पुष्प अमलतास के। खुब जब मिले प्यार, हंसता है परिवार, परिवेश खुशनुमा, होते आसपास के। नभ से फुहार गिरे…

परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद (विश्व परिवार दिवस पर) दुख में किनारा देता, जीने का सहारा होता, हरेक गम का साथी, होता परिवार है। अभाव, झंझाबातों में, उलझन की रातों में, संकटों…

माँ – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

निज कर्म से इंसान, बनाता है पहचान, पिता तो पालक होते, जन्म देती माता है। बच्चों को देती संस्कार, सिखाती है व्यवहार, जननी के साथ होती, भाग्य की विधाता है।…

मित्रता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

द्वारिका में मिलने को, सुदामा जी आए जब, चरण पखारें श्याम, पानी ले परात में। मित्र कहो समाचार, पूछा जब बार-बार, अपनी गरीबी नहीं, कहा मुलाकात में। वस्त्र फटे ठांव-ठांव…

महात्मा बुद्ध- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

संसार से नेह तोड़, ईश्वर से नाता जोड़, सिद्धार्थ से बन गए, बुद्ध भगवान हैं। धूप – ताप सहकर, भूखा प्यासा रहकर, वैशाख पूर्णिमा दिन, पाए आत्मज्ञान हैं। लुंबिनी में…

सुहाना मौसम- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद ठंडी-ठंडी हवा चली, मुरझाई कली खिली, देखो नीला आसमान, काला घन चमके। कोयल की सुन शोर, छाई घटा घनघोर, चारों दिशा झमाझम, वर्षा हुई जम के। काम…

मौसम का रंग- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

(रूप घनाक्षरी छंद) ठंडी-ठंडी हवा चली, सूखी मिट्टी हुई गीली, धूल भरी आंधी लाया, बादल ने बूंदों संग। हाँफ रहे पेड़ पौधे, सभी खड़े दम साधे, तन में पसीना आया,…