तोटक छंद वर्णिक(112)
112-112-112-112 दो चरण सम तुकांत
दिन में दिखते मन के सपने।
हिय में रहने लगते अपने।।
रचने लगते शुभ भाव यहाॅं।
भरने लगते मन घाव यहाॅं।।
सजने लगते मन मंच हरा।
बहने लगते मन छंद धरा।।
तब सुंदर स्वर्ग नहीं लगता।
जब अंतस में शुभता भरता।।
रामपाल प्रसाद सिंहअनजान
प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवेभदौर
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