तुम मुझको नारी रहने दो… डॉ स्वराक्षी स्वरा

गीत
तुम मुझको नारी रहने दो
अपनी अधिकारी रहने दो ।।

सत्ता का लोभ नहीं मुझको
न  दौलत  की  ही चाहत है
पैरों   के  बंधन   तोड़  मेरे
निर्बन्धता   में    राहत    है


चालें तेरी बहुत हो चुकी,अब मेरी पारी रहने दो।।
तुम मुझको नारी…

नारी   से   ही   नारायण  है,
नारी   कर्तव्य   परायण   है
फिर भला क्यों नारी हृदय में
संताप  का  उठता  गायन है


अधरों पे मुस्कानों का,खिलता फुलवारी रहने दो ।।


सोचो   गर   राधा  न   होती
तो कैसे बनता कृष्ण कन्हाई
गर सीता  सीता  न रहती तो
राम की  देता  कौन  दुहाई।।


मत मारो तुम कोख में इसको,निश्चल किलकारी
रहने दो ।।

अपने सुख की खातिर यूँ
मुझको  नाच  नचाओ  न
सहनशीलता,धैर्य,शील यूं
सरे  राह  बिक़ वाओ   न


मर्यादा न भंग करो,मुझको संस्कारी रहने दो ।।

डॉ स्वराक्षी स्वरा
खगड़िया,बिहार

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