गर्मी छुट्टी मना रही हूॅं – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान ‘

गर्मी छुट्टी मना रही हूॅं।


इतनी है आसान पढ़ाई,
कर लो माते बड़ी भलाई,
संग ककहरा आकर सीखो,
सीखी नहीं त बोलो न।
बचे समय मुख खोलो न।।

जब बैठी हूॅं मैं पढ़ने को,
तुम आती मुझको खलने को,
जोर-जोर खर्राटे लेती,
हमसे हटकर सो लो न।
बचे समय मुख खोलो न।।

काम बहुत है तेरे ऊपर,
एहसान है मेरे ऊपर,
गर्मी छुट्टी मना रही हूॅं,
तुम सह मेरे डोलो न।
बचे समय मुख खोलो न।।

तेरा अच्छा नहीं जमाना,
लड़की को था नहीं पढ़ाना,
जैसे-तैसे कुछ पढ़ लेती,
तुम सह मेरे होलो न।
बचे समय मुख खोलो न।।

ज्यादा मत पर साक्षर होले,
लगे माथ पर लांछन धो लें,
हस्ताक्षर ही करना सीखो,
बोली मीठी घोलो न।
बचे समय मुख खोलो न।।

इंटरनेट जमाना आया,
शिक्षा का सब पर है साया,
अनपढ़ अब न रहेगी माई,
अपने युग से तोलो न।
बचे समय मुख खोलो न।।


रामपाल प्रसाद सिंह अनजान


प्रभारी प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर
पंडारक पटना बिहार

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