सुभग संस्कार से रग रग भर दें ।
मन अपना वासंती कर लें ।
सुभग पवन के सरस हैं झोंके ,
कोई नहीं जो इनको रोके ।
विशद बड़ाई वसंत पवन की ,
कोई नहीं जो इनको टोके।
मह मह करती प्रकृति सुहानी ,
हर दिल में छाई दीवानी ।
नव पल्लव कहती निज बानी ,
सुंदर दृश्य मनोहर जानी ।
यह प्रकृति की अनुपम है माया ,
देवों का भी दिल ललचाया ।
नव पल्लव पेड़ों पर आया ,
चहूँ दिस मधुमास है छाया ।
सब दिल को आनंदित कर दें ,
मन अपना वासंती कर लें ।
मधुमास वसंत हृदय मन भाया ।
जीवन सुखद सुहृद मन लाया ।
कंचन सदृश मंजर है छाया ,
यह सब है ईश्वर की माया ।
मधुमास ही जीवन संगीत है ,
इसके सभी जीवंत मीत हैं ।
सबके दिल रहती फ़गुनाई ।
जैसे जीवन में लगती तरुनाई ।
दिल की धड़कन दिल ही जाने ,
इसके भी सुंदर पैमाने ।
फागुन मास में दिल को भर दें ,
मन अपना वासंती कर लें ।
बच्चे बूढों पर मधुमास है छाया ,
यह मधुमास सुभग मन लाया । ,
सरस प्रेम की बहे बयार ,
सब होते इसके लिए तैयार ।
कोयल कूक रही डाली पर ,
सबके मन हर्षाती हरियाली पर ।
भँवरे करते रहते गुँजार ,
नव पल्लवों पर छाई बहार ।
सरस मास की सरस सब बातें ,
हर दिल धड़क रहा दिन रातें ।
सरस मास का सरस पवन है ,
यही मधुमास में सुंदर मिलन है ।
जन जन में प्रीति रस भर दें ,
मन अपना वासंती कर लें ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर