छंदों का अभ्यास, रोज कौन सीखा रहा।
पूरा है विश्वास, लगन सिखाती है सही।।
मात शारदे आस, जो ठुकरा सकती नहीं।
मैं हूॅं उनका दास, अब सीखा सकती वही।।
होगी सफल प्रयास, आएगी करने कृपा।
बन जाऊं मैं खास, बिठा देगी फलक वही।।
माता हो जब साथ, किसको दुनिया की पड़ी।
चरण गहूॅं मैं नाथ, अर्चन आएगी नहीं।।
सुनो मित्र हर बात, फॅंसो नहीं मझधार में।
गुजरेगी यह रात, मिले सुबह उजास यहीं।।
रहते कैसे लोग, जगत के भीड़-भाड़ में।
मिलता उनको भोग, मॉं बरसाएगी कृपा।।
साध सका जो मौन, वो कैसा ज्ञानी भला।
कौन करेगा गौन, करुणा लूटाती वही।।
क्यों हम रहें निहार, मूर्ख दिखाएं राह जो।
मात कृपा उपहार, है मार्ग खोलती वही।।
खुद पर रखना ध्यान, मन होता है बावरा।
विनती इतनी मान, कटे सफर हरपल सही।।
बढ़ जाती जब चाह, चाटुकार बनते नहीं।
श्रद्धा जहॉं अथाह, मॉं दर्शन देती वहीं।।
बची रहे ईमान, नेक दिल हम बने रहे।
गूढ़ छंद का ज्ञान, माता सिखलाती सही।।
सबकी प्यारी जान, अपनों से डरिए नहीं।
क्यों होते हलकान, मॉं वाणी कहती यही।
नहीं हुई है रात, जगी चेतना है जहॉं।
कल की सारी बात, रहे अधूरी भी कहीं।।
हो जैसी आवाज, वाह-वाही मिले कहीं।
करते सब हैं नाज, जब सज जाती लय सही।
नहीं कसे हम तंज, नहीं पूछते हाल हैं।
हो जातें कुछ रंज, आएगी विचार नहीं।।
रचकर सोलह भाग, वंदन वाणी को किया।
किस्मत जाए जाग, धर हाथ भारती कही।।
राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
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