सनातन धर्म – गिरीन्द्र मोहन झा

Girindra Mohan Jha

धर्म जिसे कहते हैं।
वह सनातन, शाश्वत, परित: है।
धर्म वह है, जिससे हो,
सबका सर्वांगीण विकास।
सद्गुणों को धारण करे,
फैले उच्च आदर्श का उजास।
सनातन धर्म सहिष्णुता, प्रेम, सेवा, त्याग का पाठ पढ़ाता है।
कर्त्तव्यपरायणता, मर्यादा, सत्यनिष्ठा, कल्याण की बात बताता है।
सनातन धर्म प्रभु-भक्ति, ज्ञान, कर्म और योग की बात सिखाता है,
इसमें सबके लिए जगह, सबके लिए मार्ग, यह उदारता दिखाता है।
नैतिकता की बात भरी है, दर्शन, अध्यात्म का है स्थान।
साहित्य, आख्यान के साथ-साथ इसमें छिपा महान विज्ञान।
सत्यं, शिवं, सुन्दरम् इसका महान आदर्श, ईश्वर में आस्था है शिक्षा।
धैर्य, धर्म, साहस कभी न हारना, कितनी भी कठिन आये परीक्षा।
इस धर्म पर जब-जब संकट गहराता है, प्रभु भी लेते हैं अवतार।
सज्जनों की रक्षा करते हैं वे आकर, दुर्जनों का कर देते संहार।
धर्म और मानवता की स्थापना करते, भक्तों का करते उद्धार।
यह दिखला देते हैं कि जीवन को किस तरह दें आकार।
सनातन धर्म में प्रकृति के सभी घटक हैं देव समान।
पूजन-अर्चन करके तुम पा जाओ मनचाहा वरदान।
सनातन धर्म में सदाचार, कुलाचार को महान स्थान।
इसमें छिपे हैं कई रहस्य,
वेद, उपनिषद, सद्ग्रंथ, पुराण, कई शिक्षा और विज्ञान।
रामायण, महाभारत, गीता का ज्ञान।
एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति इसके वचन,
हैं अति महान।
भारत का यह धर्म सनातन।

गिरीन्द्र मोहन झा
‘शिक्षक’

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