जगत में गुरु से न कोई महान- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

जगत में गुरु से न कोई महान

ज्ञान  है  मिलता   गुरु   कृपा  से ,
मिलता हर   भय  से  त्राण ।
वंदे तू  गुरु   की   कीमत  जान ।
जगत  में  गुरु  से   न  कोई महान ।।

गुरु ने  पापों से हमें बचाया ,
गुरु ने मोहमाया से त्राण दिलाया ।
 वंदे  तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

कोई न गुरु के पार ही पाए ,
कोई न गुरु बिन ज्ञान कराए ।
वंदे तू छोड़ सकल अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई  महान ।।

गुरु के बिना कभी नहीं मिलता ,
भटकन      से      भी     त्राण ।
जगत में गुरु देते पहचान ।
जगत में  गुरु से  न कोई महान ।।

गुरु से शिक्षा गुरु से दीक्षा ,
नित देते   वे        सद्ज्ञान ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

गुरु बसते सबके हृदय में ,
हर  ज्ञान   में उनकी शान ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

गुरु की भक्ति , गुरु में निष्ठा ,
करते   हैं    सब     ज्ञानी ।
गुरु ही ज्ञान के सागर भी ,
ऐसा कहते   नित ध्यानी ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

माता पिता ने जन्म दिया
और दिया गुरु सद्ज्ञान ।
धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष  जगत में ,
दिया  इस   पर भी विशद ज्ञान ।
वंदे मत  कर   तू अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

कहाँ पाप की रेखा जग में ,
कहाँ बहती पुण्य की धारा ।
सद्गुरु के चिंतन मनन ने ,
हमें भवसागर पार उतारा ।
वंदे तू कृपा गुरु की जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

ईश्वर  ने  संसार    बनाया ,
हम सबको इसमें भरमाया ।
गुरु ही इससे हमें बचाया ,
देकर   सतत    सद्ज्ञान ।
जगत में गुरु के बिना न ज्ञान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

चिंता में जब पड़े थे हम सब ,
तब चिंतन की ज्योति जलाई ।
अच्छे कर्मों की सीख दे
जग   में   पहचान   कराई ।
वंदे  मत  कर तू अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा

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