समस्त विश्व मे सम्मुख यह काया ,
सदा -सदा अति न्यारी ।
प्रेयसी बन विचरण करती यह ,
कभी माँ की रूप अति प्यारी ।
बन भगिनी , सुता बन लक्ष्मी ,
और रूप अनेक लिए भी ।
करती सृजन सुकोमल कर से ,
यह जीवन प्रेम लिए भी ।
तुम कर्त्तव्य पथ पर आ जाओ ,
संप्रति जगत में छा जाओ ।
बन श्रद्धा उर में समा जाओ ,
सीता , सावित्री बन जाओ ।
हो मनुज कोटि की शतरूपा ,
बन फूलो फलो जगतरुपा ।
हर माँ का रूप भगवतरूपा ,
माना सारा संसार प्रतिरुपा ।
आज रूप बदलो पर आदर्श वही ,
तनमन की निर्मल भक्ति सही ।
छा जाओ तिमिर पर उजाला बन ,
बन जाओ सुंदर सम्यक उपवन ।
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर)