हिंदी दिवस -हर्ष नारायण दास

हिन्दी दिवस
हिन्दी के बिन्दी को मस्तक पर सजा के रखना है।
सर आँखों पे बिठाएंगे,यह भारत माँ का गहना है।।
हिन्दी मेरा ईमान है, हिन्दी मेरी पहचान है।
हिन्दी हूँ मैं वतन भी मेरा,प्यारा हिन्दुस्तान है।।
बढ़े चलो, हिन्दी की डगर,
हो अकेले फिर भी मगर।
मार्ग की काँटे भी देखना,
फूल बन जाएंगे पथपर।।
हिन्दी से हिन्दुस्तान है,
तभी तो यह देश महान है।
निज भाषा की उन्नति के लिए
अपना सब कुछ कुर्बान है।
एक दिन ऐसा भी आएगा,
हिन्दी परचम लहराएगा।
इस राष्ट्र भाषा का हर ज्ञाता, भारतवासी कहलायेगा।
निज भाषा का ज्ञान ही,उन्नति का आधार है।
बिन निज भाषा ज्ञान के, नहीं होता सदव्यवहार है।
आओ हम हिन्दी अपनाएं,,
गैरों को परिचय कराएँ।
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है,
यह बात सभी को समझाएं।।
हिन्दी ही हिन्द का नारा है।
प्रवाहित हिन्दी धारा है।
हम हिन्दी ही अपनाएंगे,
इसको ऊँचा ले जाएँगे।
हिन्दी भारत की भाषा है।
हम दुनियाँ को दिखलाएंगे।।

प्रेषक-हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा,फारबिसगंज।
जिला-अररिया।

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