The way of life an anchor for youngsters a road map to truthfulness an easy inspiration Truthful mirror, in this era of rampant greed widespread violence runaway consumption political anarchism…
Author: Anupama Priyadarshini
जिन्दगी के दौर में – Sanjay Kumar
जिन्दगी के दौर में जब खुद को अकेले पाना तुम खुद ही, ख़ुद का सूरज समझ लेना जो स्याह रात को, समाप्त करता है। जब मंजिल मुश्किल और दूर लगे…
दूर तक चलते हुए -शिल्पी
घर की ओर लौटता आदमी होता नहीं कभी खाली हाथ हथेलियों की लकीरों संग लौटती हैं अक्सर उसके अभिलाषाएं, उम्मीद, सुकून और थोड़ी निराशा घर लौटते उसके लकदक कदम छोड़ते…
धरा के आभूषण- मीरा सिंह “मीरा “
दादी माँ हमको समझाई क्यों करते वृक्षों का पूजन ? वृक्ष सभी होते हितकारी ये धरती के हैं आभूषण।। ये हरते हैं ताप धारा का करें वायु दूषित का शोधन।…
मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
सिर घुँघराले लट, तन पीतांबर पट, बहुत है नटखट, साँवरा साँवरिया। मंत्र मुक्त होता कवि, जाता बलिहारी रवि, मन को लुभाती छवि, होंठों पे बाँसुरिया। जाता पनघट पर, ग्वाल-बाल मिलकर,…
एक शिक्षक- पुष्पा प्रसाद
एक शिक्षक अपनी पूरी जिंदगी बच्चो के साथ बिताते हैं। खुद सड़क की तरह एक जगह रखते है पर विद्यार्थी को मंजिल तक पहुंचा देते है । कोई पेशेवर खिलाड़ी…
कभी घबराना नहीं – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
रूप घनाक्षरी छंद तूफानों में नाव डोले, कभी खाए हिचकोले, धारा बीच माँझी चले, थाम कर पतवार। अवसर आने पर, जोर लगा आगे बढ़ें, मिलता है मौका हमें, जीवन में…
स्वर्ग नर्क कहीं और नहीं- नीतू रानी
स्वर्ग नरक कहीं और नहीं है इसी पृथ्वी पर सब, बैठके थोड़ा सोचिए जब समय मिलता है तब। इसी पृथ्वी पर जन्म लिए ऋषि मुनिऔर संत। राम, कृष्ण, माँ पार्वती…
भारत के प्राचीन ग्रंथ- गिरीन्द्र मोहन झा
वेद-वेदान्त की है उक्ति यही, सदा बनो निर्भीक, कहो सोsहं , उपनिषद कहते हैं, ‘तत्त्वमसि’, तुम में ही है ‘ब्रह्म’, तू न अकिंचन। ऋषि व्यास जी ने है रचा, शुभकर…
सागर और नदी -गिरीन्द्र मोहन झा
सागर ने नदी से कहा- सरिते! लोग कहते हैं, तुम नदी समान बनो, चलो, निरंतर चलो, विघ्नों को लाँघकर, अनवरत आगे बढ़ो, नदी ने सागर से कहा- तात! मेरी शरण…