बंदर मामा चले ससुराल पहनकर सिर पर टोपी लाल। है उनके साले की शादी मामा पहने कुरता खादी।। साथ चली उनकी बंदरिया सिरपर ओढे लाल चुनरिया। ठुमक ठुमक के पांव…
Author: Anupama Priyadarshini
गुड़िया – अदिती भुषण
आओ सब मिल खेले खेल मैं इक गुड़िया, बच्चों के मन को भाती सुंदरता मेरी प्यारी प्यारी मैं कई रूप रंगों में आती। तुम जैसा मुझे बनाओगे, वैसा मैं बन…
हमें नहीं अब युद्ध चाहिए- संजय कुमार
हमे नहीं अब युद्ध चाहिए, नहीं हमे अब युद्ध चाहिए, संघर्ष नहीं विराम चाहिए। सत्य अहिंसा विश्व बंधुता करुणा मित्र और प्यार चाहिए। नहीं और अब युद्ध चाहिए। अहं और…
पुरुष व्यथा -अमरनाथ त्रिवेदी
हैं पुरुष विवश कैसे होते ? जैसे मकड़ा स्वनिर्मित जाल में । मानव का यह आधा हिस्सा , पड़ जाता भव – जाल में । केवल एक पक्ष को लेकर…
आने वाला कल -चंचला तिवारी
कल हमको तुम ना पाओगे बताओ कैसे हमें भुलाओगे ? कैसे उलझनों को सुलझाओगे? किसपे झुंझलाहटों को बरपाओगे? कल हमको तुम ना पाओगे संग किसके तुम मुस्कुराओगे ? किस्से कहानिया…
इंसान बनके दिखलाओ -अवनीश कुमार
हुए स्वार्थी और लोभी आज के मानव समझ नही ये बन बैठे है दानव काम ,क्रोध,मोह ,लोभ के पाश में नित बंधते ये मानव क्षणिक स्वार्थ के पूरन में भी…
चुनाव – जय कृष्णा पासवान
गली मोहल्ले में आज इतना शोर-गूल क्यों है। जो लोगों को कभी समझा ही नहीं।। उनमें आज विकास की होड़ क्यों है। लगता है कहीं चुनाव तो नहीं है।।२ आज…
तितली प्यारी- नवाब मंजूर
आ री आ री तितली प्यारी सुंदर मनहर तितली न्यारी रंग बिरंगे पंखों वाली उड़े चाल मतवाली इस डाल से उस डाल पर अथक दौड़ लगाने वाली रंग फूलों का,…
मनहरण घनाक्षरी -जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
प्राण संग दुनिया से कर्म धर्म साथ जाते, केवल मानव तन जलता है आग़ में। दीप संग तेल जले परवाना गले मिले, वर्तिका में छिपी होती रोशनी चिराग में। अज्ञानी…
मैं एक अंतर्मुखी – अदिती भुषण
हांं, हूं मैं एक अंतर्मुखी, रहती, हूं मैं स्वयं में सिमटी, कभी हूं मैं कविता मन के तरानों की, कभी हूं मैं आशा हौसलों के उड़ानों की, तो कभी हूं…