माता की आराधना – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

दुर्गा मांँ के मंदिर में, जलता अखंड ज्योति, आओ सब मिल करें, माता की आराधना। नैवेद्य कर्पूर धूप, चंदन अक्षत दीप, हाथ लेके नर-नारी, करते हैं साधना। श्रद्धा भक्ति भाव…

बदल देगी वक्त- रूपमाला/मदन छंद- राम किशोर पाठक

सर्व मंगल कामना ले, आज सारे भक्त। आ गयी जब मात घर में, बदल देगी वक्त।। शरद का नवरात्र आया, हर्ष छाया गेह। बाटती है आज माता, हर किसी को…

हिंदी भाषा की गरिमा – राम किशोर पाठक

हिंदी भाषा की गरिमा को, उच्च शिखर पहुँचाना होगा। हिंदी के प्रति जन-मानस में, प्रेम अटूट जगाना होगा।। रामचरित रचकर तुलसी मान बढ़ाएँ। हिंदी भाषा की गरिमा को अपनाएँ।। घर-घर…

निःशब्द सौंदर्य – बिंदु अग्रवाल

वह अनुपम अद्वितीय यौवना सिर पर पत्थरों का भार लिए एक हाथ से अपने आँचल को संभालती। हिरनी सी सजल आँखे उसकी विवशता को दर्शाती, सजने सँवरने के दिन, नैन…

विश्वकर्मा पूजा – राम किशोर पाठक

सौर वर्ष में करते गणना। भाद्र शुक्ल शिल्पी का गहना। सदा प्रतिपदा शुभता लाती। कन्या राशि संक्रांति आती।। नियत समय हर वर्षो से हीं। विश्वकर्मा पूजन सदा हीं।। सतरह तारीख…

शिक्षा सुलभ बनाना- राम किशोर पाठक 

विद्यालय कार्यभार लेकर, हैं खोये। कागज में जैसे उलझ गए, हैं रोये।। शिक्षा के नव अंकुर मन में, जो बोये। चक्रव्यूह में फंँसा हुआ सा, है सोये।। सुधार हमें व्यवस्था…