हम सब हैं भारत के बच्चे – अमरनाथ त्रिवेदी

  लेकर हम सब प्रभु का नाम, सदा करें ही  अच्छे काम। खेल-खेल में नहीं लड़ेंगे, बात-बात में नहीं झगड़ेंगे। हम सब हैं भारत के बच्चे, कहते जो करते सब…

सर्दी – रामकिशोर पाठक

  सर्दी का है मौसम आया घना कोहरा भी है छाया। सुबह-सुबह हीं हम जागें जल्दी से स्कूल हम भागें। ठंढे पानी से नहीं नहाना कर जाते हैं कोई बहाना।…

समय पर खेल समय पर पढ़ाई – अमरनाथ त्रिवेदी

लिए  खिलौने  हाथ   में, खेलने को हम सब बेकरार। पापा निकले  घर  से, हम  सब  हुए  फरार। देख  उनकी   त्योरी, रही  न  बुद्धि   माथ। असमय खेलने का यह प्रतिफल मिला,…

प्यारे-न्यारे चंदा मामा- अमरनाथ त्रिवेदी

चंदा मामा चंदा  मामा, लगते कितने प्यारे हो। अनगिनत तारों के संग तू , लगते शीतल न्यारे हो। तुममें जो शीतलता है , वह सबके मन को भाता है। भव्य…

बीज की चाह- मेराज रजा

  दाना हूँ मैं नन्हा-मुन्ना, मिट्टी में हूँ गड़ा-गड़ा! कैसी होगी दुनिया बाहर, सोच रहा हूँ पड़ा-पड़ा! मीठा-मीठा पानी पीकर, अंकुर मैं बन जाऊँ! बढ़िया खाद मिले तो खाकर, खिल-खिलकर…

सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी

सूरज दादा   सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े  में  क्यों इतनी  देर  लगाते हो ? पर शाम में  जल्द  ही  तुम कहीं  छुप जाते …