लेकर हम सब प्रभु का नाम, सदा करें ही अच्छे काम। खेल-खेल में नहीं लड़ेंगे, बात-बात में नहीं झगड़ेंगे। हम सब हैं भारत के बच्चे, कहते जो करते सब…
Category: बाल कविता
चाँद सलोना- रामकिशोर पाठक
लगता बड़ा सलोना चॉंद जैसे कोई खिलौना चॉंद। मन को मेरे भाता यह पर बड़ा इठलाता यह। दिखता नहीं हमेशा एक जैसे इसके रूप अनेक। दिन में है छिप…
बालपन के अनमोल पल – अमरनाथ त्रिवेदी
पढ़ने को नहीं दिल है करता, पर पढ़ना बहुत जरूरी है। सब हैं मुझसे आस लगाए, पर खेलना भी मजबूरी है।। खेलकूद में मन जब लगता, पढ़ने को तब जी…
मेरी गुड़िया रानी बोल- नीतू रानी
मेरी गुड़िया रानी बोल, क्यों की है तुम चप्पल गोल। चप्पल रोज पहनकर आती, गोलाकार में उसे सजाती। गोल चप्पल के अंदर खड़ी है, लगती कोई छोटी परी है। तुम…
सर्दी – रामकिशोर पाठक
सर्दी का है मौसम आया घना कोहरा भी है छाया। सुबह-सुबह हीं हम जागें जल्दी से स्कूल हम भागें। ठंढे पानी से नहीं नहाना कर जाते हैं कोई बहाना।…
समय पर खेल समय पर पढ़ाई – अमरनाथ त्रिवेदी
लिए खिलौने हाथ में, खेलने को हम सब बेकरार। पापा निकले घर से, हम सब हुए फरार। देख उनकी त्योरी, रही न बुद्धि माथ। असमय खेलने का यह प्रतिफल मिला,…
नन्हे बच्चे – प्रियंका कुमारी
नन्हे बच्चे मन के सच्चे लगते हैं वे कितने अच्छे है तोतली उनकी वाणी सदा ही करते हैं मनमानी। बातें करते हरदम कच्चे नन्हे बच्चे मन के सच्चे लगते…
प्यारे-न्यारे चंदा मामा- अमरनाथ त्रिवेदी
चंदा मामा चंदा मामा, लगते कितने प्यारे हो। अनगिनत तारों के संग तू , लगते शीतल न्यारे हो। तुममें जो शीतलता है , वह सबके मन को भाता है। भव्य…
बीज की चाह- मेराज रजा
दाना हूँ मैं नन्हा-मुन्ना, मिट्टी में हूँ गड़ा-गड़ा! कैसी होगी दुनिया बाहर, सोच रहा हूँ पड़ा-पड़ा! मीठा-मीठा पानी पीकर, अंकुर मैं बन जाऊँ! बढ़िया खाद मिले तो खाकर, खिल-खिलकर…
सूरज दादा – अमरनाथ त्रिवेदी
सूरज दादा सूरज दादा, तुम प्रकाश फैलाते हो। गर्मी में तुम बड़े सवेरे आते, जाड़े में क्यों इतनी देर लगाते हो ? पर शाम में जल्द ही तुम कहीं छुप जाते …