बचपन सुन्दर! मनमोहक, समय, रुका नहीं क्यों? शायद! रुकता नहीं वक्त, भुला नहीं क्यों? खेल! मैदान, दौड़, रूठना , मनाना, गुड़ियों की शादी दूल्हा और बाराती, रेत का घरौंदा! सब…
Category: बाल कविता
आम फलों का राजा है – अमरनाथ त्रिवेदी
आम फलों का राजा है बड़े बड़े और पीले पीले , होते आम बड़े रसीले । सभी फलों का राजा है यह , सभी फलों से ताजा है यह ।…
बचपन में जो नहीं पिटाया- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
बचपन में जो नहीं पिटाया बचपन में जो नहीं पिटाया, उसका है इतिहास नहीं। निज घर में पिंजरबद्ध हुआ,उसका है इतिहास कहीं।। बचपन के पनघट पर जाकर,घोंघे मोती पातें हैं।…
माँ की सीख- स्रग्विणी छंद – राम किशोर पाठक
स्रग्विणी छंद आधारित माँ की सीख- बाल सुलभ रोज माँ टोकती है सुधारो इसे। दोष तूने किया है निहारो इसे।। भूल कोई उसे है सुहाता नहीं। रोज मैं भी उसे…
हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं – अमरनाथ त्रिवेदी
हम नन्हें-मुन्हें बालक हैं हम नन्हें-मुन्हें है बालक, दिल के बहुत हीं भोले। कोई पूछता जब हमसे, हैं बन जाते बड़बोले।। जागने से सोने तक, निश्चित क्रम है होता। पढ़ने के विषय जितने,…
क्रिकेट में वह छाया सोना – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
क्रिकेट में वह छाया सोना। खेल खेलना अच्छा लगता। खेल नहीं तो जीवन खलता।। जीवन को हिस्सों में बाॅंटो। बचपन के हिस्से न काॅंटो।। छोटा बचपन प्यारा बचपन। जीवन का…
लोरी: ममता की मीठी छाया – सुरेश कुमार गौरव
लोरी: ममता की मीठी छाया चंदा मामा पास बुलाते, तारे झिलमिल झूला झुलाते, माँ की गोदी, प्यार की बूँदें, सपनों में रसधार बहाते। दादी नानी मीठी बोली, कथा-कहानी रोज सुनाती,…
गर्मी की रात – आशीष अम्बर
गर्मी की रात । भली – भली सी लगती मुझको , ये गर्मी की रात । छत के ऊपर हल्का – फुल्का करके रोज़ बिछौना । बड़ा मज़ा देता गर्मी…
बच्चों को सीख- रुचिका
बच्चों को सीख सुबह सवेरे तुम उठ जाओ, पढ़ने में तुम ध्यान लगाओ, खेलो कूदो मौज करो तुम, जीवन में तुम खुशियाँ पाओ। अपने बड़ों का करो सम्मान, जग में…
भारत माता का मैं लाल – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
भारत माता का मैं लाल उठता नित सूरज से पहले, नित उठ करता ज्येष्ठ प्रणाम। मात पिता दादा दादी संग, नमन हृदय करू मैं व्यायाम। हाथ मुंह धोकर प्रात में…