दिव्य पर्व जन्माष्टमी, प्रकट हुए घनश्याम। गले सुशोभित हार में, लगते हैं अभिराम।। भाद्र पक्ष की अष्टमी, मथुरा कारावास। कृष्ण लिए अवतार जब, छाया सौम्य उजास।। मथुरा कारागार जब, कृष्ण…
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रूप घनाक्षरी- एस. के. पूनम
अंधेरा था घनघोर, संतरी थे चहुँओर, माया ने बिछाई जाल, दानवों पर प्रहार। वेदना को भूल कर, पलना में झूल कर, पिता संग छुप कर, निकले पालनहार। पूतना को…
श्री कृष्ण-चरित-माला- हर्ष नारायण दास
ॐ श्री पुरुषोत्तम स्वामी। सर्वातीत सर्वघट-गामी।। निर्गुण मायारहित अनन्ता। मायाधीश सगुण भगवन्ता।। परम दयामय लीलाधारी। पृथिवी-भार-हरन अवतारी।। भव-दुख-भंजन, दुष्ट-विनाशी। बन्दीगृह निज रूप विकाशी।। बन्दीसुत बन्धक-दल-गंजन। वासुदेव श्री देवकीनंदन।। नन्दकुमार यशोमति-लाला।…
भारत की पहचान तिरंगा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
आजादी की शान तिरंगा। भारत की पहचान तिरंगा।। फलित साधना वर्षों की है, करते हम गुणगान तिरंगा। केसरिया साहस से गुंफित, त्याग शक्ति बलिदान तिरंगा। धवल प्रभा-सी विमल सादगी, चक्र…
मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम
भारत के तिरंगे में, शोभित हैं तीनों रंग, फहराए हवा संग, झुका आसमान है। जल,थल,नभ सेना, तत्पर रक्षा में सदा, देते रहे बलिदान, जारी अभियान है। नभ में विमान उड़े,…
गीतिका – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
संत शिरोमणि कवि तुलसी की, महिमा गाते जाइए। पावन निर्मल भक्ति-भाव को, हृदय बसाते जाइए। रामचरितमानस अति सुंदर, ज्ञान-विभूषित ग्रंथ है, विनत भाव से प्रतिदिन पढ़कर, ज्ञान बढ़ाते जाइए। दोहे…
रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
यहाँ नाग पंचमी में, पूजे जाते नागदेव, शंकर पहनते हैं, बनाकर गले हार। स्वार्थ के हो वशीभूत, मदारी पकड़ते हैं, जहर निकालने को, लोग करते शिकार। अनेक शिकारी होते, इसके…
दोहावली – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
देवाधिदेव महादेव दया सिंधु शिव जी सदा,करते हैं कल्याण। जो भी आते हैं शरण,पाते वो वरदान।। बाबा भोलेनाथ को, पूजे जो नर-नार। पाकर नित आशीष को,करते निज भव पार।। सावन…
मनहरण घनाक्षरी- एस. के. पूनम
जलता है रात-भर, स्नेह भरा यह दीप, बुझ गया यादें छोड़, सविता के आने से। जल उठे साँझ ढले, बाती-तेल अवशेष, अंतर्मन जाग जाए, दीया जल जाने से। फलक को…
रूप घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
तूफां से न घबराते, अपनी मंजिल पाते, जीवन के डगर की, होती न आसान राह। चट्टानों पे बीज बोते, धुन के जो पक्के होते, बाधाओं के करते वो, कभी नहीं…