कोरोना कविता और कवि-गिरिधर कुमार

कोरोना कविता और कवि लिख रहा हूं कविता, झांकता है कोरोना ठीक सामने की खिड़की से… अट्टहास करता है वो परिहास के स्वर हैं उसके कवि! भोले कवि तुम्हारी कविता…

बाल जिज्ञासा-रुचिका

बाल जिज्ञासा माँ मेरी तुम मुझे बताओ, चिड़िया कैसे उड़ती आकाश में फिर कैसे वो नीचे आती कहाँ से लाती अपना खाना कैसे पानी पीती है? माँ बोली मेरी गुड़िया…

बालक की अभिलाषा-एस. के. पूनम

बालक की अभिलाषा बालक हूँ मेरी भी कुछ अभिलाषा है, गुरुदेव का असीम सानिध्य मिले, सादगी भरा वेशभूषा धारण करूँ, समाज में सादगी का मिशाल बनूं। बालक हूँ मेरी भी…