कल हमको तुम ना पाओगे बताओ कैसे हमें भुलाओगे ? कैसे उलझनों को सुलझाओगे? किसपे झुंझलाहटों को बरपाओगे? कल हमको तुम ना पाओगे संग किसके तुम मुस्कुराओगे ? किस्से कहानिया…
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मैं एक अंतर्मुखी – अदिती भुषण
हांं, हूं मैं एक अंतर्मुखी, रहती, हूं मैं स्वयं में सिमटी, कभी हूं मैं कविता मन के तरानों की, कभी हूं मैं आशा हौसलों के उड़ानों की, तो कभी हूं…
बालिका-शिक्षा – पामिता कुमारी
बेटी पढाईला से कछु नय बिगरतै हे बाबूजी तोहर पगड़ी नय गिरतै। बेटी और बेटा में भेद नय करिहो, दोनो के साथे-साथ पढाईहो लिखाइहो, बेटी पढाईला से इज्जत नय घटतै,…
मन की चाह -एस.के.पूनम
मुक्त रहूँ निशा के स्याह चादर से, बहते शीतल पवन के झोंकों में, भोर भए अंगडाई लूँ नूतन वेला में, प्रकृति की सौंदर्य समाहित हो मुझमें। बंद चक्षुओं को खोलता…
वक्त बदल गया- दीपा वर्मा
क्या से क्या हो गया, वक्त यू क्यू बदल गया। इंसान की पहचान खो गई, इंसान के व्यवहार से इंसान दहल गया। न हम रहे न हम, न तुम रहे…
प्रभाती पुष्प- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी ****** लाखों मनुहार करें, कितना भी प्यार करें, पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं दिखता । समय प्रभात रहे, दिन याकि रात रहे, हमें जाग जाने पर चोर…
लेखन मेरे लिये वरदान- कंचन प्रभा
मैं अभिशाप थी इस धरती पर जैसे कोई शाप थी इस धरती पर, भीड़ भरी दुनिया में मैं गुमनाम बन गई थी । आज लेखन मेरे लिए वरदान बन गई…
पत्नी- जयकृष्ण पासवान
पत्नी एक एहसास है , पत्नी तो खुदा की इबादत है। पत्नी घर का श्रृंगार है, पत्नी तो दुर्गा और काली का अवतार है ।। पत्नी एक विचार का मिलन…
नारी शक्ति -जयकृष्ण पासवान
चंडी की अवतार तू अबला, जग है तेरे रखवाले। रुप धारण की आन पड़ी है, अब तेरे किस्मत उजियारे।। “धधक रहा ज्वाला मन की” इसको तुम प्रतिकार करो। झुको नहीं,रूको…
मेरा शहर दरभंगा – कंचन प्रभा
ये शहर था जो कभी ख्वाबों का विशाल महलों के नवाबो का कैसी आज ये घनघोर घटा है धरा पर उतरी काली छटा है आज ये पुुुरा पानी पानी क्यों…