चाचा का कोजगरा – अवधेश कुमार

चाचा का कोजगरा : –शरद पूर्णिमा की चाँदनी छम-छम बरसे,आँगन हो उजियार,खुशियों की झिलमिल करती, उल्लास भरे त्यौहार।माँ के थाल में मखान सजे, संग जलेबियाँ गोल,मीठी खुशबू उड़ती जाए, मन…

मैं कैसे हार मान लूंँ – राम किशोर पाठक

मैं कैसे हार मान लूँ- गीत (अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर ) आओ नयी पहचान लूँमैं कैसे हार मान लूँ। शिक्षक का कर्म लिया हूॅंशिक्षा का धर्म लिया हूॅंआओ नयी परिधान…

एक ही ईश्वर की संतान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

(मनहरण घनाक्षरी छंद में) भाग-१सभी लोग खाते अन्न,एक जैसा होता तन,एक ही तो जल पीते, हिंदू मुसलमां हैं। सभी स्वांस लेते हवा,जीवन जीने की दवा,रहने को एक ही तो, जमीं…

बाल प्रेरक व्यक्तित्व – राष्ट्रपिता गांधी जी एवं शास्त्री जी – अवधेश कुमार

बाल प्रेरक व्यक्तित्व : राष्ट्रपिता गाँधी जी और शास्त्री जीचरखा वाले बापू प्यारे,सत्य-अहिंसा की राह दिखाए।सादगी जिसने सिखलाई,सबको प्रेम-भाव अपनाए। शास्त्री जी थे कर्मयोगी,जय जवान-जय किसान का दिया नारा।सीधी सच्ची…

रघुनंदन का है शिकार- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

पद्धरी छंदसम -मात्रिक छंद, 16 मात्राएँआरंभ द्विकल से,पदांत Slअनिवार्य रघुनंदन का है शिकार। हर दिशा निशा लो गईं जाग।सबके होंठों पर एक राग।।रावण का करना आज दाह।घर जाते करना वाह-वाह।।…

आलू रे आलू तेरा रंग कैसा – नीतू रानी

आलू रे आलू तेरा रंग कैसाजिस सब्जी में मिला दूँ लगे उस जैसाआलू रे आलू ———-२। आलू की चटनी बहुत हीं प्यारीआलू की भूजिया बड़ी निराली,ये दोनों भात, दाल पे…

भारत की बेटियां – आशीष अंबर

सारे संसार में नाम कमाया है ,अपनी प्रतिभा का जादू बिखराया है।देश हो या विदेश हर जगह ,भारत की बेटियां अपना लोहा मनवाया है। कल्पना चावला, नीरजा या हो पीटी…

सामाजिक समानता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मनहरण घनाक्षरी छंद सैकड़ो हैं धर्म-पंथ,जिसका नहीं है अंत,दुनिया में गरीबों की, होती नहीं जात है। दिन भर कमाते हैं,जो भी मिले खा लेते हैं,जहांँ होती शाम वहीं, कट जाती…

बालमन में मेले का उत्साह – अवधेश कुमार

मेले में छा जाती है,रंग-बिरंगी रोशनी की चमक,गुब्बारे, झूले, मिठाई की महक,आँखों में जाग उठती है नई-नई चमक।बर्गर , मोमोज और आइसक्रीम पर फिसलता जीभ का स्वाद ,पारंपरिक झिलिया मुरही…

सफल होना – राम किशोर पाठक

बासंती छंद वार्णिक आओ मेरे पास, सफल जो चाहो होना।भूलो सारी बात, अगर चाहोगे सोना।।हारे वैसे लोग, सतत आगे जो भागे।जीते हैं वें लोग, अगर पीछे भी जागे।। पाना हो…