मुझको कान्हा आज बनाओ -राम किशोर पाठक

अम्मा कुछ मुझको बतलाओ। मुझको कान्हा आज बनाओ। जो चाहूँ वह दे दो मुझको। ऐसे कभी नहीं तड़पाओ।। मैं भी मुरली बजा सकूँगा। मुरली तो मुझको दिलवाओ।। साँपों का फन…

वंदे मातरम् – गीत – राम किशोर पाठक

वंदे मातरम् – गीत भारत वासी दिल के अच्छे, चाहत सदा स्वच्छंद है। वंदे मातरम् गीत सुंदर, गाना सबको पसंद है।। वंदे मातरम्। वंदे मातरम्। बंकिम चन्द्र चटर्जी इसकी, रचना…

गृह लक्ष्मी पत्नी – राम किशोर पाठक

गृह लक्ष्मी पत्नी – कुंडलिया लक्ष्मी है पत्नी सदा, सुखकारी लो जान।जिसको मैंने वर लिया, रखती सबका ध्यान।।रखती सबका ध्यान, वही लक्ष्मी है घर की।मेरा यह वरदान, नहीं पाऊँ अब…

करवा चौथ – राम किशोर पाठक

करवा चौथ – विधाता छंद सुहागन आज करती है जहाँ उपवास भर दिन का।सुधाकर को निहारी है सुहानी रात जीवन का।।अमर सिंदूर हो मेरा नहीं हो कष्ट भी थोड़ा।यही शुभ…

करवा चौथ – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

विधाता छंदाधारित मुक्तककरवा चौथ कहीं संगम कहीं तीरथ,धरा पर पुण्य बहते हैं, सजी हैं नारियाॅं भूपर,कहेंगे व्यर्थ कहते हैं। हजारों साल जिंदा हो,चमकता माॅंग का सिंदूर.., जहाॅं पतिदेव की सेवा,वहाॅं…

गुलाब की कामना – अवधेश कुमार

ये गुलाब समर्पित हैं उन्हें,जिनसे हमने सच्चा प्रेम किया है —निश्छल, अनवरत, बंधनहीन प्रेम। जैसे ही उनकी याद आती है,चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है।ये अहसास रोज जन्म लेता है,पर…

भावुक हूं मैं.. डॉ स्वराक्षी स्वरा

हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो सह नहीं पातीहल्की सी भी चोट,फिर चाहे वो शरीर पर हो    या कि लगे हों       दिल पर।। हां,मैं भावुक ही तो हूंतभी तो देख…

हिंदी – सार छंद

हिंदी – सार छंद सागर सी है गहरी भाषा, प्रेम जगाने वाली। इसके अंदर ज्ञान छुपा है, सुंदर सुखद निराली।। संस्कृत की बेटी हिंदी है, अति मनहर सी भाषा। वधु…

जीवित्पुत्रिका व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत माता निर्जल व्रत करे, सुखी रहे संतान। महाकाल को पूजती, जो लेते संज्ञान।। एक दिवस उपवास का, कोटि विधि स्वीकार। सुखमय मेरा लाल हो, करती सदा विचार।। भाँति-भाँति…