सर्दी- कहमुकरी- राम किशोर पाठक 

सर्दी – कहमुकरी स्पर्श सदा कंपित है करती। रोम-रोम में सिहरन भरती।। जैसे वह हमसे बेदर्दी। क्या सखि? साजन! न सखी! सर्दी।।०१।। कभी डरूँ तो छुप मैं जाऊँ। दिन-भर जमकर…

तोटक छंद वर्णिक-रामपाल प्रसाद सिंहअनजान

तोटक छंद वर्णिक(112) 112-112-112-112 दो चरण सम तुकांत दिन में दिखते मन के सपने। हिय में रहने लगते अपने।। रचने लगते शुभ भाव यहाॅं। भरने लगते मन घाव यहाॅं।। सजने…

जाति-वर्ण लोकतंत्र पर भारी – राम किशोर पाठक 

है लोकतंत्र की महिमा न्यारी। चलती जिससे संविधान प्यारी।। सबने बदली अब दुनियादारी। लूट रहे धन कहकर सरकारी।। लेकर सारे धन-बल की आरी। कुर्सी पाने की है तैयारी।। जनता बनती…

मेरी पोषण वाली थाली – अवधेश कुमार

माँ ने सजाये थाली में अनोखे रंग , पोषण थाली अब करेगी कुपोषण से जंग । मोटे अनाज देंगे हमें बल, गेहूँ, चावल भरें संबल। दाल हमें दे प्रोटीन प्यारा,…

आमोद हारी मुरारी- सर्वगामी/ अग्र सवैया छंद – राम किशोर पाठक

आमोद हारी मुरारी- सर्वगामी/ अग्र सवैया छंद – राम किशोर पाठक     आमोद हारी मुरारी सुनो भक्त का, भक्त तेरा तुझे ही पुकारा। राधा बिहारी धरूँ ध्यान तेरी सदा,…

राष्ट्रीय एकता दिवस – राम किशोर पाठक

राष्ट्रीय एकता दिवस   दिवस राष्ट्रीय एकता वाला। लेकर समरसता का माला।। आओ इसकी कथा सुनाएँ। सरदार पटेल से मिलवाएँ।। जन्म दिवस उनका है आज। संघटित भारत करने का काज।।…